नई दिल्ली। यूपी में सियासी हवा चले और उसकी आहट दिल्ली में ना सुनाई दे ऐसा होना नामुमकिन है क्योंकि यूपी ही एक ऐसा प्रदेश है जहां पर सत्ता जीतने के लिए केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी तक जोरो-शोरों से तैयारी करती है। यूपी के सियासी रण में अब एक और नाम जुड़ गए है वो नाम है जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी का। दरअसल दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को समर्थन देने का ऐलान किया।
बुखारी ने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) पिछले पांच साल तक प्रदेश की सत्ता में रही और इस दौरान मुसलमानों का सिर्फ शोषण हुआ और उनके साथ नाइंसाफी ही हुई है, लिहाजा इस बार चुनाव में वह बसपा का समर्थन करेंगे।
साल 2012 विधानसभा चुनाव में सपा का समर्थन करने वाले बुखारी ने कहा कि पिछले पांच सालों में अखिलेश यादव के शासन में मुसलमानों के अधिकारों का हनन हुआ और उन्हें मुजफ्फरनगर, मथुरा और गाजियाबाद में हुए दंगों सहित प्रदेश में 400 से ज्यादा सांप्रदायिक फसाद की वारदातें सहन करनी पड़ीं। इसके अलावा दादरी में मोहम्मद अखलाक और प्रतापगढ़ में पुलिस उपाधीक्षक जिया उल हक की हत्या कर दी गई।
इससे पहले, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल और हिंदू महासभा भी चुनाव में बसपा के समर्थन की घोषणा कर चुके हैं। शाही इमाम ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की बदहाली के लिए सपा सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। इसका स्पष्ट सबूत 2012 का सपा का घोषणापत्र है। इस घोषणापत्र में मुसलमानों को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने, रंगनाथ मिश्रा आयोग और सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने सहित बहुत सारे वादे किए थे, मगर उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ।
बुखारी ने कहा कि सपा सहित कई पार्टियां यह समझती हैं कि उन्हें वोट देना मुसलमानों की मजबूरी है लेकिन मुसलमानों को उनकी यह धारणा दूर करके यह बता देना चाहिए कि जब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, उत्तर प्रदेश में राजनीतिक स्थिरता का सवाल ही पैदा नहीं होता।