बीजिंग/नई दिल्ली। तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा को लेकर चीन लागातार विरोध कर रहा है लेकिन इन्हीं सब बातों के बीच दलाई लामा ने चीन को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि भारत ने कभी भी उनका इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं किया।
आध्यात्मिक गुरु की यात्रा पर भड़के चीन ने बीजिंग में भारतीय राजदूत विजय गोखले को बुलाकर भी अपना विरोध दर्ज करवाया है। वहीं इस मामले को संगीनता से लेते हुए चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि चीन की चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए भारत ने चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से के विवादित इलाकों में दलाई लामा का दौरा कराया जिससे कि चीन के हितों के साथ-साथ दोनों देशों के रिश्तों पर भी काफी असर पड़ा है और चीन इसका कड़ा विरोध करेगा।
हालांकि भारत की तरफ से चीन को साफ कर दिया है कि भारत एक ‘चीन नीति’ का सम्मान करता है और चीन से भी इसी तरह की उम्मीद रखता है। वर्षीय धर्मगुरु पहले भी इस उत्तर-पूर्वी राज्य में आते रहे हैं, इसलिए भारत के विभिन्न राज्यों में उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों को किसी और तरीके से लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। वो भारत के किसी भी भाग में आने जाने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके साथ ही गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने साफ कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और चीन को दलाई लामा के दौरे और आपत्ति नहीं जतानी चाहिए, न ही भारत के आंतरिक मामलों में दखल देना चाहिए।
जाने क्यों दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा का विरोध कर रहा है चीन?
दरअसल करीबन चार दशकों से तिब्बत के आध्यात्मिक धर्म गुरु हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते हैं। वो 9 दिनों की यात्रा के तहत पश्चिमी कामेंग जिले के बोडिला पहुंचे थे। वहीं चीन अरुणाचल के तवांग को अपना हिस्सा मानता है जिसे लेकर के भारत के साथ उसका लंबे समय से विवादा भी चल रहा है इसी वजह से चीन दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा का विरोध कर रहा है।