नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम चुनाव के प्रचार में जुटे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक बड़ा झटका लगा है। पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने जो शुंगली कमेटी बनाई थी उसकी रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा गया है कि केजरीवाल ने सत्ता का दुरुपयोग किया है।
वैसे तो अरविंद केजरीवाल की दिल्ली के उपराज्यपाल से कभी भी नहीं बनी और आए-दिन दोनों किसी ना किसी मुद्दे पर आमने -सामने दिखे। लेकिन इस रिपोर्ट के सामने आ जाने के बाद ये तो कहा जा सकता है कि नजीब जंग केजरीवाल के लिए आगे की राह मुश्किल जरुर कर चुके है।
404 फाइलों की जांच के बाद बनी 101 पन्नों की रिपोर्ट:-
नजीब जंग ने अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए गए फैसलों की जांच करने के लिए एक शुंगली कमेटी बनाई थी जिस पर केजरीवाल ने काफी विरोध भी किया था। बरहाल अब इस कमेटी ने 404 फाइलों को खंगालने के बाद 101 पन्नों की रिपोर्ट बनाई है जिसमें आम आदमी पार्टी सरकार पर सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों और आवंटनों को लेकर कई सवाल खड़े किए गए हैं।
जानें किन मुद्दों पर रिपोर्ट में उठाए गए सवाल…
-कमेटी ने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के सलाहकार पद पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी की नियुक्ति को गलत बताया है।
-निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी और रोशन शंकर को पर्यटन मंत्रालय में ओएसडी नियुक्त करने पर भी सवालिया निशान खड़े किए गए है। इसमें कहा गया है कि शंकर को ऐसे पर नियुक्त किया गया है जिसका पहले कोई भी अस्तित्व नहीं था और उपराज्यपाल की परमीशन भी नहीं ली गई।
-इस रिपोर्ट में दिल्ली में आवास आवंटन को भी अनुचित ठहराया गया है।
-दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनने से पहले आवास मुहैया करा दिया गया तो वहीं आप के विधायक अखिलेश त्रिपाठी को अनुचित ढंग से टाइप 5 बंगला दिया गया।
-शुंगली कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार को जमीन आवंटन से जुड़ा कोई भी अधिकार नहीं है और उसे ऐसा करने से पहले उपराज्यपाल को फाइल भेजनी चाहिए लेकिन सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मनमाने ढंग से इसका दुरुपयोग किया।
कमेटी बनने पर भी हो चुका है बवाल
दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग ने 400 फाइलों की समीक्षा के लिए एक शुंगलू कमेटी बनाई थी जो कि इन फाइलों में इस बात की जांच-पड़ताल करेगी तय नियमों के आधार पर ही काम किया गया है नहीं। लेकिन इस मामले ने तूल तब पकड़ लिया जब केजरीवाल ने नजीब जंग को इस कमेटी को भंग करने को कहा।
इस पूरे मामले पर दिल्ली सरकार का कहना था कि एलजी और ऑफीसर को फाइल देखने का अधिकार है लेकिन कमेटी बना देना और उसके तहत फाइलों को देखना पूरी तरह से असंवैधानिक है क्योंकि किसी अध्यादेश में कहीं भी ये प्रावधान नहीं है कि एलजी किसी तरह की कमेटी बना सकता है। वहीं एलजी नजीब जंग की एक जारी प्रेस रिलीज में कहा गया था कि फाइलों के पीछे का सच जनता के सामने आना चाहिए। अगर उन्होंने इन फाइलों में सभी नियमों का पालन किया है तो फिर वो डर क्यों रहें हैं?