kumar vinay
लखनऊ: 80 के दशक बॉलीवुड इंडस्ट्री में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की आई कालिया फिल्म का डायलॉग आज उन अपराधियों पर सटीक बैठता है। फिल्म के एक सीन में अमिताभ बच्चन (कल्लू) का वकील जज के सामने बोला है।
जज साहब अगर आज कल्लू चोरी में जेल गया, तो जब वह बाहर आएगा तब अपराध की दुनिया का बादशाह बनकर आएगा। वह कल्लू नहीं बल्कि कालिया बन गया। जेल में बंद अपराधी कल्लू को सुधरने नहीं देगें और उसे बड़ा अपराधी बना देंगे।
आज के दौर में फिल्म राइटर की यह स्क्रिप्ट छोटे-मोटे अपराधियों पर सही साबित होती है। जो चोरी, मारपीट, धमकी देने और रोड एक्सीडेंट के मामले में जेल जाते हैं। लेकिन जब वह वापस लौटते हैं तो कालिया बन जाते हैं। इसके बाद बड़ी-बडी वारदातों को अंजाम दे देते है। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि लखनऊ पुलिस के खुलासे इस बात का प्रमाण दे रहे हैं।
पहली घटना : चोरी के मामले गया था जेल
04 जुलाई 2021 को कानपुर-दुबग्गा बाइपास पर काकोरी पुलिस ने चोरी की बाइक के साथ पाराथानाक्षेत्र के भपटामऊ निवासी शिवम रावत को गिरफ्तार किया था। आरोपित ने 30 जून को बैंक ऑफ इंडिया, दुबग्गा ब्रांच के बाहर खड़ी स्पलेंडर बाइक को चुरा लिया था। इस संबंध में बाइक मालिक ने काकोरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
इसके बाद पुलिस आरोपित की तलाश में जुट चुकी थी। जब पुलिस आरोपित को हिरासत में लेकर थाने लाई तो पता चला कि वह इससे पहले भी चोरी के मामले में जेल जा चुका है। जेल से छूटने के बाद वह दोबारा चोरी करने लगा।
दूसरी घटना : जेल से छूटने के बाद बना गैंगस्टर
04 जुलाई को 2021 को हनीमैन चौराहे पर विभूतिखंड पुलिस को जानकारी हुई कि विराजखंड सब्जीमंडी के पास दो युवक चोरी की बाइक के साथ खड़े हैं। इसके बाद पुलिस ने घेर कर आरोपितों को पकड़ लिया।
उनकी निशानदेही पर पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से 11 बाइक बरामद की थी। पुलिस ने उनकी पहचान आलमबाग थानाक्षेत्र के बाहरबिरवा निवासी अनिल सिंह और हरदोई जनपद के अतरौली निवासी नौमिष को गिरफ्तार किया था।
पड़ताल में पता चला आरोपित पहले भी चोरी के मामले में जेल गए थे। जेल से छूटने के बाद आरोपित ऑटोलिफ्टिंग गैंग चलते थे।
जेल में चलती है जरायम की पाठशाला
आईपीएस अधिकारी रमेश भारतीय के मुताबिक, कई घटनाएं ऐसी घटित हुई हैं । जो लोग छोटे अपराध में सजा काटने जेल गए थे। सजा पूरी कर जब वह वापस लौटे तो एक बड़े अपराधी बन गए। असल में नए अपराधी जेल की बैरक में बंद पुराने कुख्यात अपराधियों से दोस्ती कर लेते हैं। इसके बाद वह जेल में ही जरायम का पूरा ज्ञान लेते हैं।
इसके अलावा जेल में एक नई गैंग तैयार कर लेते हैं । जब वह बाहर लौटते है, तो लूट, हत्या, रोडहोल्डअप, डकैती जैसी घटनाओं को अंजाम देते है। जब क्राइम ब्रांच आरोपितों को रिमांड लेकर बैरक चेक करती है तो उनके गैंग की हकीकत जेल में दिखाई पड़ती है। बताया कि कई बार ऐसी वारदात हुई हैं।
खुलासे में पता कि वारदात को अंजाम देने की साजिश जेल की चाहर दीवारी में रची गई थी। जेल में बंद हार्डकोर क्रिमिनल्स ने छोटे अपराधियों को अपने साथ मिला लिया था। कभी मुखबिरी तो वारदात को अंजाम देने के लिए उनका इस्तेमाल किया गया।