चीन के वुहान शहर से निकला कोराना वायरस पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। और आने वाले समय में कई पीढ़िया कोरोना शब्द को नहीं भूल पाएंगी।
लेकिन क्या आपको पता है कोरोना शब्द आज से 1800 साल पहले दुनिया में आ चुका है। और जर्मनी के लोगों के लिए ये नाम आज का नहीं और न ही नया है।
जर्मनी में 1800 साल पहले एक ईसाई संत हुआ करती थीं उनका नाम कोरोना था। वो जर्मनी के आखेन कैथीड्रल से थी। वहां 9वीं सदी में ही उनका अस्थि अवशेष रखा है।
माना जाता है कि आज से करीब 1,800 साल पहले रोमन शासकों ने संत कोरोना का इतना उत्पीड़न किया कि उनकी मौत हो गई।
अब जब पूरी दुनिया को कोरोना नाम का पता चल जाएगा ऐसे में लोग ये जानने के भी उत्सुक हैं कि आखिर ईसाई संत कोरोना कौन थीं, कैसे उनका नाम ये पड़ा था, उनका इतिहास क्या है?
चलिए आपको बताते हैं 1800 पहले जन्में कोरोना संत के बारे में जिनके साथ उस दौर में बहुत ही बुरा किया गया था। जिसके चलते उनकी मौत हुई।
कोरोना वायरस से फैली महामारी के दौर में जर्मनी की संत कोरोना चर्चा में आ गई हैं।
माना जाता है कि करीब 1,800 साल पहले रोमन शासकों ने कोरोना का इतना उत्पीड़न किया कि उनकी मौत हो गई।
उनके नाम कोरोना का लैटिन भाषा में मतलब होता है “मुकुट।”
आपको बता दें, जर्मनी के बवेरिया और ऑस्ट्रिया के कुछ इलाकों में संरक्षक देवता के रूप में इनकी मान्यता रही है और आज भी है। जुआ खेलने वाले, खजाने की तलाश करने वाले और कसाई खास तौर पर संत कोरोना से प्रार्थना करते थे।
उस काल में अलग अलग पेशों से जुड़े लोगों की आर्थिक मुसीबत के समय में अलग अलग संरक्षक संत हुआ करते थे। स्थानीय तौर पर संत कोरोना को संक्रामक बीमारियों को दूर करने वाली संत भी माना जाता था।
चाहे अपने पालतू पशुओं को संक्रामक बीमारी से बचाना हो या कोई मुश्किल की घड़ी हो, जर्मनी के पड़ोसी देश ऑस्ट्रिया के सेंट कोरोना नाम के एक छोटे से शहर के लोग हर हाल में इसी संत से प्रार्थना करते थे।
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यह एक बहुत ही स्थानीय मान्यता थी लेकिन अचानक से दुनिया में मौत का ताडंव करती कोरोना बीमारी फैलने से एक बार फिर से कोरोना संत खबरों में आ गईं है।साथ ही उनके साथ हुए शोषण की खबरे एक बार से चर्चा में बन आयीं हैं।