लखनऊ।बिजली कंपनियों की मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उपभोक्ता परिषद ने एक याचिका दाखिल की है। साथ ही आयोग को भी निशाने पर लेते हुए कहा है कि कई संवैधानिक सवाल हैं, इनका जवाब दिए बिना इनकी मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह टैरिफ शॉक की श्रेणी में आता है।
ये है पूरा मामला –
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कार्पोरेशन जिस स्लैब परिवर्तन को 2 साल से लागू करने में लगा है, क्या उसकी मुश्किलों के बारे में नहीं पता है। उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि क्या उसे यह नहीं मालूम है कि इससे गरीबों की दरें बढ़ेंगी और अमीरों की कम होगी। आखिर यह कैसा प्रस्ताव है। अवधेश वर्मा ने कहा कि यह गुपचुप तरीके से जो बिजली की दरों को बढ़ाने की साजिश की जा रही है, इसका हम विरोध करेंगे। इसको लागू नहीं होने देंगे।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रदेश की बिजली कम्पनियों के लिये वर्ष 2021-22 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) व स्लैब परिवर्तन को स्वीकार किए जाने के तुरंत बाद उपभोक्ता परिषद् ने मोर्चा संभाल लिया है। नियामक आयोग में एक याचिका दाखिल कर यह संवैधानिक सवाल उठा दिया की बिजली कम्पनियां विद्युत अधिनियम- 2003 के प्रविधानुसार टैरिफ प्रक्रिया में उठे कुछ मुद्दों से मुंह चुरा रही हैं। ऐसे में आयोग इन सभी सवालों का जवाब प्रदेश के जनता को दिलाकर रहेगा जिससे बिजली दर की आमजनता की सुनवाई में जनहित में निर्णय व बहस हो सके।
उपभोक्ता परिषद के बिजली कंपनियों से सवाल
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सबसे पहले बिजली कम्पनियां ये बताएं कि जब उसके स्लैब परिवर्तन को आयोग द्वारा पूर्व बिजलीदार घोषित करते समय सभी पक्षों व उपभोक्ता परिषद् की दलीलों को सुनने के बाद खारिज किया जा चुका है और बिजली कम्पनियों द्वारा उसके खिलाफ अप्रैल में मुकदमा दाखिल किया गया है तो फिर आयोग द्वारा उस को क्यों स्वीकार किया गया।
दूसरा सबसे बड़ा सवाल बिजली कम्पनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का लगभग 19535 करोड़ निकल रहा है उसके एवज में बिजली कम्पनियों ने बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव क्यों नहीं दिया गया?
और बड़ा सवाल यह है की अगर बिजली कम्पनियों का गैप निकल रहा है तो बिजली कम्पनियां उसकी भरपाई किस प्रकार कराएगी का प्रस्ताव क्यों नहीं दिया? इसका मतलब की वर्ष 2021-22 में टैरिफ हाइक जीरो है, इस पर भी बिजली कम्पनियों की चुप्पी सवालों के घेरे में है।
उन्होंने कहा कि एक और सबसे बड़ा मुद्दा और विधिक सवाल है कि जब नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2021- 22 का बिजनेस प्लान अनुमोदित कर दिया गया और नियमानुसार उन्हीं आकड़ों पर एआरआर दाखिल होना था फिर उसका उल्लंघन बिजली कम्पनियों ने क्यों किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि सब मिलाकर ऐसा प्रतीत होता है कि बिजली कम्पनियां चोर दरवाजे से गुपचुप स्लैब परिवर्तन के सहारे आयोग से बिजली दरों में बढ़ोतरी कराना चाहती हैं, जो अपने आप में प्रदेश की जनता के साथ धोखा है।