नई दिल्ली। आज के दिन साल 1885 में कांग्रेस पार्टी का गठन हुआ था। इसको लेकर कांग्रेस कार्यलय में 133वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है, जिसमें पहली बार राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में शिरकत कर रहे हैं। बता दें कि उस दिन रविवार का दिन था जब कांग्रेस की स्थापना एक ब्रिटिश सिविल सेवा के अधिकारी एलेन ओक्टोवियो हू्यम ने की थी। उन्होंने कांग्रेस की स्थापना तो ब्रिटिश शासन में राजनीतिक हित साधने के लिए की थी, लेकिन आगे चलकर ये पार्टी आजादी के आंदोलन का हिस्सा बन गई। आजादी मिलने के बाद महात्मा गांधी ने कांग्रेस को खत्म करने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन इस पर आम सहमति नहीं बन पाई। कांग्रेस का समय के साथ रूप और रंग जरूर बदला लेकिन गांधी शब्द पार्टी की पहचान का पर्याय बना हुआ है और आज भी राहुल गांधी ही कांग्रेस की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
समय के साथ बदला कांग्रेस का स्वरूप
कांग्रेस का गठन आजाद भारत से 62 साल पहले 28 दिसंबर 1885 को किया गया था। कांग्रेस के ऊपर लिखी इटावा के हजार साल पुस्तक में लिखा है कि हू्यन ने इटावा में 30 मई 1857 को राजभक्त जमींदारों की अध्यक्षता में ठाकुरों की एक स्थानीय रक्षक सेना बनाई थी, जिसका काम इटावा में शांति स्थापित करना था। हू्यम को जब दिखा की ये सेना शांति कामय करने में सफलता प्राप्त कर रही है तो इसको देखते हुए उन्होंने 28 दिसंबर 1885 को बंबई में कांग्रेस की स्थापना की नींव रख दी। कांग्रेस के गठन को लेकर हू्यम का मानना था कि अंग्रेजों के वफदार भारतीयों की एक पार्टी होनी चाहिए, ताकि 1857 जैसे गदर से बचा जा सके। हालांकि, सियासी मंजर ने कुछ यूं करवट ली कि ये पार्टी अंग्रेजों के साथ जाने के बजाए आजादी के आंदोलन का हिस्सा बन गई।
जब 1885 में कांग्रेस का गठन हुआ तो इसका पहला अध्यक्ष कलकत्ता हाईकोर्ट के बैरिस्टर व्योमेश चन्द्र बनर्जी को बनाया गया। माना जाता है कि उस समय के भारत के वायसराय लार्ड डफरिन ने पार्टी की स्थापना का समर्थन किया था। हालांकि, हू्यम को पार्टी गठन के कई सालों बाद तक पार्टी के संस्थापक के नाम से वंचित रहना पड़ा। वहीं जब साल 1912 में हू्यम की मृत्यू हो गई तो कांग्रेस ने उन्हें पार्टी के संस्थापक के रूप में मान्यता दे दी। इसी को लेकर गोपाल कृष्ण गोखले ने लिखा था कि हू्यम के सिवा कोई भी व्यक्ति कांग्रेस को गठन नहीं कर सकता था। बता दें कि 133 साल में से 43 साल कांग्रेस के अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार के लोग ही रहे हैं।
नेहरू परिवार में सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू अमृतसर में वर्ष 1919 में अध्यक्ष चुने गए। वह 1920 तक अध्यक्ष रहे। मोतीलाल साल 1929 में फिर से अध्यक्ष चुने गए और करीब एक साल तक अपने पद पर रहे। मोतीलाल के बाद उनके बेटे जवाहरलाल नेहरू लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नेहरू करीब छह बार 1930, 1936, 1937, 1951, 1953 और 1954 में कांग्रेस अध्यक्ष पंद संभाला। पंडित नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी दो बार अध्यक्ष बनीं, इंदिरा ने 1959 में पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और 1960 तक रहीं।
इसके बाद वो साल 1978 में कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गर्इं और अगले छह साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। इंदिरा के बाद उनके बेटे राजीव गांधी 1984 के मुंबई अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और वह 1991 तक इस पद पर रहे। राजीव गांधी के निधन के सात साल बाद वर्ष 1998 में उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने राजनीति में कदम रखा। सोनिया गांधी देश के इस सबसे पुराने राजनीतिक दल के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाली पहली महिला हैं। वे रिकॉर्ड 19 वर्षों तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं। 19 साल पार्टी की कमान संभालने के बाद इसी साल 16 दिसंबर को उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंप दी।