विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलत हुए पार्टी के सीनियर लीडर कमलनाथ को राज्य का पार्टी आध्यक्ष बना दिया है। छिंदवाड़ा से सांसद कमलनाथ को कांग्रेस ने राज्य में पार्टी का जिम्मेदापी सौंपी है। इस मामले में इकॉनोमिक्स टाइम्स से बात करते हुए कमालनाथ ने कहा, ‘मैं इसे एक बड़ी जिम्मेदारी और एक बेहतर अवसर के तौर पर लेता हूं।’ इस साल के अंत में मध्य प्रदेश में चुनाव होने हैं उससे पहले कांग्रेस का पड़ाव पार्टी का बड़ा बदलाव है। पार्टी ने शिवराज सरकार के मुकाबले में कांग्रेस के अरुण यादव को हटाकर कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा है।
कमलनाथ ने कहा, ‘बीते कई सालों में मध्य प्रदेश में गवर्नेंस और प्रशासन के स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ है। यहां हालात जस के तस बने हुए हैं। अब बदलाव का समय आ गया है।’ इस बार शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथे कार्यकाल के लिए चुनावी समर में उतरेंगे। अब तक हरियाणा के प्रभारी महासचिव रहे कमलनाथ अब सूबे के कांग्रेस चीफ होंगे, जबकि इस पद के लिए रेस में बताए जा रहे सिंधिया को कैंपेन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया है।
भले ही कांग्रेस ने अभी मध्य प्रदेश के लिए अपने सीएम कैंडिडेट का ऐलान नहीं किया है, लेकिन कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से साफ है कि वह ही चुनावी समर में कांग्रेस के सबसे अहम चेहरा होंगे। अब तक इस मसले पर सिंधिया की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन कमलनाथ को कमान सौंपे जाने को सिंधिया कैंप के लिए झटका माना जा रहा है।
पार्टी नेताओं का मानना है कि पांच वजहों से 71 वर्षीय कमलनाथ को यह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। पहला, उनका गुटबाजी से परे का नेता होगा। कमलनाथ गुटों में बंटी स्टेट यूनिट को एक साथ लाकर मिशन को आगे बढ़ सकते हैं। दूसरी वजह है कि, उनमें चुनावों में प्रदेश कांग्रेस के लिए संसाधन जुटाने की क्षमता। तीसरा कारण है कि कमलनाथ को सत्ता के गलियारों का अनुभव। चौथा, जाति के तौर पर न्यूट्रल फेस। पांचवां सबसे अहम बिंदु यह है कि कमलनाथ को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का ङी रणनीतिक तौर पर सपोर्ट हासिल है। यह समीकरण इसलिए बेहद अहम है कि दिग्विजय सिंह को साधने से गुटबाजी कम होगी।