नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को कंप्यूटरों के डाटा जांचने का अधिकार दे दिया है। इसमें जांच एजेंसी के पास धारा 69 के तहत संदिग्ध शख्स के कंप्यूटर संसाधन से उत्पन्न, प्रेषित, प्राप्त या संग्रहीत किसी भी जानकारी को रोकने, निगरानी और डीकोड करने का अधिकार होगा। इस मामले पर राजनीति शुरू हो गई है।
ट्वीट कर ओवैसी ने कसा तंज
एआईएमआईएम के मुखिया और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि आपका 1984 में स्वागत है। ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘मोदी ने सरकार के एक सामान्य आदेश का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसियों को हमारे संचार की जासूसी करने की इजाजत दे दी। किसे पता था कि जब वह कहते थे घर घर मोदी, तब उनका मतलब यह था। जॉर्ज ऑर्गवेल के बड़े भाई यहां हैं और 1984 में आपका स्वागत है।’
कांग्रेस ने किया वार
इस मामले पर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘मैंने मामला नहीं पढ़ा है लेकिन यदि कोई कंप्यूटरों की निगरानी करेगा तो यह ऑरवेलियन स्थिति (एक ऐसी परिस्थिति जिसे जॉर्ज ऑरवेल ने स्वतंत्र समाजद के लिए विनाशकारक बताया था) होगी।’
जो 10 एजेंसियां कंप्यूटरों की जांच कर सकती हैं उनके नाम हैं- इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय (रॉ), डायरेक्टोरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस कमिश्नर।
आदेश के संबंध में केंद्र सरकार ने आईबी, रॉ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, ईडी, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, सीबीआई, दिल्ली पुलिस के आयुक्त, एनआईए और जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर तथा असम के सिगनल इंटेलीजेंस निदेशालय को आदेश जारी कर दिया है।