पटना। पिछले साल बिहार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के नतीजों के बाद हुए खुलासे से जहां पूरे देश में बिहार में शिक्षा को लेकर हो रही धांधली की पोल खुल गई थी। जिसके चलते बिहार की शिक्षा प्रणाली पर सवालिया निशान लग गया था। वहीं इस बार फिर बिहार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अपने नतीजों को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार धांधली नहीं गुणवत्ता की बात है। 65 फीसदी से ज्यादा छात्र-छात्राएं इस बार फेल हो गये हैं। जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री ने खराब नतीजों के चलते अधिकारियों पर गाज गिरानी शुरू कर दी है।
राज्य के शिक्षा सचिव जितेन्द्र श्रीवास्तव को उनके पद से कार्यमुक्त कर दिया गया है। अब जितेन्द्र की जगह आरएल चोंगथू को नया शिक्षा सचिव बनाया गया है। ये कार्रवाई इस बार के 12 वीं में 65 फीसदी विद्यार्थियों के असफल होने के चलते हुई है। हांलाकि लोगों का कहना है कि रिजल्ट खराब नकल विहीन परीक्षा के चलते हुए हैं। उधर छात्रों को कहना है कि इस बार बीते साल रिजल्ट को लेकर हुई धांधली के बाद जानबूझ कर बोर्ड ने छात्रों को फेल किया है।
छात्र इन दिनों सरकार के खिलाफ आंदोलन पर भी है। वहीं खराब रिजल्ट के चलते नीतीश सरकार की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। बिहार के माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार पांडे ने भी खराब रिज्लट को लेकर बोर्ड की मंशा पर सवाल उठाते हुए कापियों के दुबारा जांचने की मांग की है। वहीं सरकार ने भी बैकफुट पर आकर कहा है कि जिन छात्रों को उनके अनुरूप रिजल्ट नहीं लग रहा है वो पुन: मूल्यांकन के लिए दे सकते हैं।