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भारत के हिस्सों को अपना बताकर बुरा फंसा नेपाल, कौन है वो महिला जिसने खींच दी भारत-नेपाल के बीच दीवार..

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नेपाल ने चीन को खुश करने के लिए भारत के हिस्सों को अपना बताकर बनाए गये नये नक्शे का कानून तो पास करा लिया है। लेकिन नेपाल अब अपनी इस करतूत पर पश्चता रहा है। क्योंकि नेपाल को अब समझ आ गया है कि, भारत जैसे पुराने मित्र से संबंध बिगाड़ना उसे भविष्य में कितनी बड़ी मुसीबत में डाल देगा।तभी तो केपी ओली सरकार का नेपाल में जोरदार विरोध हो रहा है।

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सत्ताधारी केपी ओली शर्मा की कम्यूनिस्ट पार्टी में ही नेपाल के नए नक्शे को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं। नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी के कई सांसदों ने नाराजगी जताई है कि पार्टी अध्यक्ष होते हुए ओली ने नक्शे को लेकर एक बार भी पार्टी फोरम पर अपने विचार नहीं रखे हैं।

आपको बता दें, चुनाव के दौरान केवल नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी ने ही नहीं बल्कि उनके पीछे सभी दलों ने भारत के साथ सीमा विवाद के मामले को जोर शोर से उठाया था। इन दलों ने लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना बताते हुए इस पर कब्जे की बात भी कही थी, लेकिन अब राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के हस्ताक्षर के बाद नया नक्शा कानून बन गया है।

भारत के करीबी माने जाने वाले कई राजनेताओं ने भी नक्शे को लेकर न तो कभी पीएम ओली का विरोध किया न ही कम्यूनिस्ट पार्टी की सीमा को लेकर दिए जा रहे बयान के खिलाफ आवाज उठाई। लेकिन, अब चीन के साथ भारत के जारी तनाव के बाद कई नेताओं ने सीमा विवाद को लेकर फिर से नरमी दिखाना शुरू कर दिया है।

जिसके चलते नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली का उन्हीं की पार्टी में जोरदार विरोध हो रहा है। उन्हीं का पार्टी के कई लोगों का कहना है कि, केपी ओली का फैसला एक तरफा है।ये तो बात हुई विरोध की लेकिन क्या आप जानते हैं नेपाल के दिमाग में इस नये नक्शे की बात किसने डाली आखिर किसके कहने पर नेपाल ने भारत से दुश्मनी पाल ली।
चलिए आपको उस महिला से मिलवाते हैं जिनके द्वारा नक्शे की कहानी रची गई।

माना जा रहा है कि भारत के इलाकों को अपना कहने का काम नेपाल ने चीन के उकसाने पर किया है। खासकर नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांगी ने इसके लिए पीएम ओली को राजी किया। इसके बाद ही ओली ने ऐसा नक्शा तैयार किया। इसे भारत के खिलाफ एक बड़े कदम की तरह देखा जा रहा है, जबकि नेपाल के साथ भारत के रिश्ते हमेशा ही अच्छे रहे।

चीनी नागरिक होऊ यांगी नेपाल में साल 2018 से चीन की राजदूत हैं। उन्हें दक्षिण एशियाई मामलों का जानकार माना जाता है। इसी लिहाज से यांगी ने मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स में भी लंबे वक्त तक डिप्टी डायरेक्टर की भूमिका निभाई और कई अहम फैसले लिए, जिनसे चीन का संबंध पड़ोसी देशों से प्रभावित हुआ. यांगी ने चीनी राजदूत के तौर पर पाकिस्तान में भी तीन साल बिताए।

यांगी के कूटनीतिक दिमाग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एकदम अलग संस्कृति वाले देश में मेलजोल बढ़ाने के लिए इस राजदूत ने उर्दू भाषा सीखी और राजनेताओं से मेलजोल के मौके पर फ्लूएंट उर्दू बोला करती थीं ताकि उन्हीं में से एक लगें।

भारतीय खुफिया एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तान में राजदूत रहते हुए यांगी ने कई पाकिस्तानी नीतियों के लिए काम किया, जिसका भारत से कहीं न कहीं ताल्लुक था. पाकिस्तान जैसे जटिल देश में तीन अहम साल देने के बाद यांगी को नेपाल भेजा गया।

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और इन्ही के चलते नेपाल ने भआरत पर दबाब बनाने के लिए नया नक्शा तैयार किया जिसमें उसने लिपियाधुरा, लिपुलेखा और कालापानी हिस्सों को अपना बताया है। और कानून भी पास कराया।

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