पूरी दुनिया को कोरोना मं उलझाकर पड़ोसी मुल्कों को परेशान कर रहे चीन की आलोचना दुनियाभर में हो रही है। लेकिन इसके बीद भी चीन मानने को तैयार नहीं है। 15 जून को जिस तरह से चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला किया उसका विवाद थमा भी नहीं था कि, चीन की नजरें भारत के नये हिस्से पर टिक गई हैं। जिसको लेकर भारत बेहद सतर्क हो गया है।
भारतीय रक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की सुरक्षा के लिए चिंतित दिखाई दे रहे हैं। एलएसी पर जारी तनाव के बीच विशेषज्ञ अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर अधिक ध्यान देने पर जोर दे रहे हैं।इस बात को कहने वाले नेवी के कई वरिष्ठ अधिकारी भी हैं, जो कि यह मानते हैं पीएलए के नेवी फ्रंट खोलने पर अंडमान को खतरा हो सकता है। ऐसी स्थितियों में अंडमान निकोबार द्वीप समूह के आसपास के समुद्री इलाकों में नेवी पूरी सतर्कता बरत रही है।
अधिकारियों का मानना है कि एलएसी पर मात खा चुका चीन किसी और रास्ते से भारत को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करे इसकी आशंका बनी हुई है। चीन ने बीते दिनों कई द्वीपों पर अपने मिलिट्री बेस बनाने की शुरुआत की है और अब वह ऐसे और इलाकों की तलाश कर रहा है, जहां के द्वीप समूह का वह सामरिक स्थितियों में इस्तेमाल कर सके। ऐसा हम भी कर सकते हैं और हमारे पास अंडमान में ऐसे द्वीप समूह मौजूद हैं, लेकिन हमने अब तक उनके महत्व को नहीं समझा है।
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ऐसे में भआरत को अंडबार निकोबार प र सावधान रहना होगा। क्योंकि चीन भारत के एक्शन से बुरी तरह से तिलमिलाया हुआ है। जिसकी वजह से भारत के इस सुंदर द्वीप पर वो कब्जा कर करने की सोच सकता है। हालिक वो जानता है कि, अगर वो कोई भी कदम उठाएगा तो उसका अंजाम क्या होगा।