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अंग्रेजों के पसीने छुड़ाने वाले चंद्र शेखर आजाद के जन्मदिन पर जानें उनसे जुड़े कुछ किस्से..

chander 1 अंग्रेजों के पसीने छुड़ाने वाले चंद्र शेखर आजाद के जन्मदिन पर जानें उनसे जुड़े कुछ किस्से..

शहीद चंद्रशेखर आजाद की आज देशभर में जयंती मनाई जा रही है। शहीद चंद्रशेखर आजाद का पूरा जीवन ही प्रेरणा से भरा हुआ है। यही कारण है कि, आज कोई आम हो या खास सभी उन्हें अपना प्रेरणास्त्रोत मानते हैं।उनके हृदय में देश व मातृभूमि के लिए इतना प्रेम था कि उन्होंने बहुत छोटी उम्र से ही अंग्रेज़ों के विरुद्ध लोहा लेना शुरू किया और फिर अपना सम्पूर्ण जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया।

chander 2 अंग्रेजों के पसीने छुड़ाने वाले चंद्र शेखर आजाद के जन्मदिन पर जानें उनसे जुड़े कुछ किस्से..
चद्रशेखर आजाद, यह नाम सुनते ही इंसानों के मन में दो छवि सामने आती है। पहली- मूछों पर भारतीयों के आत्मसम्मान का ताव। दूसरी भारत माता के प्रति आत्मसमर्पण ऐसा कि आखिरी गोली से खुद की जान ले ली, क्योंकि आजाद हमेशा आजाद रहता है।लेकिन ऐसी कई किस्से कहानियां है जो चंद्रशेखर आजाद स्वाधीनता संग्राम में एक अलग स्थान दिलाता है। चंद्रशेखर 17 साल की उम्र में आजाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े थे। चंद्र शेखर ने 1925 के काकोरी कांड में अहम भूमिका निभाई और अंग्रेजों की जड़ों को हिलाकर रख दिया था। यह वहीं चंद्रशेखर हैं, जिन्हें पहली बार जेल जाने पर 15 कोड़े मारने की सजा गई थी।

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को आदिवासी ग्रम भाबरा में हुआ था उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी था। ये उन्नाव जिले के बदर गांव के रहने वाले थे। आकाल पड़ने के कारण बाद में इनका पिरवार भाबरा में बस गया। यही से चंद्रशेखर आजाद की प्रारम्भिक जीवन की शुरुआत हुई। उन्होंने धनुष बाण चलाना सीखा। चंद्रशेखर आजाद भी गांधी से कापी प्रभावित थे।चंद्र शेखर हमेशा से ही कहते थे कि, अंग्रेज कभी मुझे जिंदा नहीं पकड़ सकेंगे। यही वजह थी कि जब 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों की एक पूरी टुकड़ी ने उन्‍हें एल्फ्रेड पार्क में चारों तरफ से घेर लिया था तो किसी ने उनके पास जाने तक की हिम्‍मत नहीं दिखाई थी। इतना ही नहीं अपनी आखिरी बची हुई गोली से उन्‍होंने खुद अपनी ही जान ले ली थी।

इसके बाद भी किसी फिरंगी की इतनी हिम्‍मत नहीं हुई कि वह उनके मृत शरीर के पास जाकर उसको छूने की हिम्‍मत कर सके। उनके शव के पास जाने से अंग्रेजों ने उनको गोली मारकर यह सुनिश्चित किया कि वह मर चुके हैं। इलाहाबाद का यह पाक आज भी उनकी वीरता का दास्‍तां को सुनाता दिखाई देता है।

https://www.bharatkhabar.com/bravery-of-a-mother-imprisoned-in-cctv/
चंद्र शेखर आजाद और उनके जज्बे को आज भी याद करता और उनकी हिम्मत का लोहा मानता है। आने वाली पीढ़ियां ऐसे महान योद्धा को हमेशा याद करती रहेंगी।

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