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मंत्रिमंडल समिति ने चीनी मिलों द्वारा देय उचित एवं लाभकारी मूल्य ‘एफआरपी’ के निर्धारण को मंजूरी दी

34 3 मंत्रिमंडल समिति ने चीनी मिलों द्वारा देय उचित एवं लाभकारी मूल्य ‘एफआरपी’ के निर्धारण को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गन्ना किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए आज 2018-19 के चीनी के सीजन के लिए चीनी मिलों द्वारा देय उचित एवं लाभकारी मूल्य ‘एफआरपी’ के निर्धारण को मंजूरी दी।इसके तहत दस प्रतिशत बुनियादी रिकवरी दर के आधार पर 275 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य तय किया गया है। इस तरह दस प्रतिशत तक और उससे अधिक की रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत बढ़ोतरी के संबंध में 2.75 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम प्रदान किया जाएगा।

 

34 3 मंत्रिमंडल समिति ने चीनी मिलों द्वारा देय उचित एवं लाभकारी मूल्य ‘एफआरपी’ के निर्धारण को मंजूरी दी

 

किसानों के द्वारा देशभर में चलाए जा रहे आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला

मंत्रीमंडल चीनी सीजन 2018-19 के लिए उत्पादन लागत 155 रुपये प्रति क्विंटल है।दस प्रतिशत रिकवरी दर पर 275 रुपये प्रति क्विंटल का एफआरपी उत्पादन लागत के मद्देनजर 77.42 प्रतिशत अधिक है। इस तरह किसानों को उनके द्वारा किए गए खर्च से 50 प्रतिशत अधिक भुगतान करने का वायदा पूरा हो जाएगा।2018-19 के चीनी सीजन में गन्ने के संभावित उत्पादन को ध्यान में रखते हुए गन्ना किसानों को होने वाला कुल भुगतान 83,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा।

फैसला किया है कि जिन चीनी मिलों में रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है, वहां किसी प्रकार की कटौती न की जाए

सरकार अपने किसान अनुकूल उपायों के तहत यह सुनिश्चित कर रही है कि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान कर दिया जाए। किसानों के हितों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने यह भी फैसला किया है कि जिन चीनी मिलों में रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है, वहां किसी प्रकार की कटौती न की जाए। इन किसानों को मौजूदा मौसम के दौरान 255 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर गन्ने के लिए 261.25 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाएगा।

चीनी सीजन 2018-19 में किसानों से चीनी मिलों द्वारा खरीदे जाने वाले गन्ने पर लागू होगी

बता दें कि स्वीकृत एफआरपी चीनी सीजन 2018-19 में किसानों से चीनी मिलों द्वारा खरीदे जाने वाले गन्ने पर लागू होगी। जो 01 अक्टूबर, 2018 से प्रभावी होगी।चीनी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण कृषि-आधारित क्षेत्र है। जहां लगभग पांच करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को रोजगार मिलता है। इसके अलावा लगभग पांच लाख मजदूर चीनी मिलों में सीधे रोजगार पाते हैं। साथ खेत मजदूरी और यातायात जैसी विभिन्न सहयोगी गतिविधियों में भी लोगों को रोजगार मिलता है।

महेश कुमार यदुवंशी 

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