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कोविड-19 के चलते बिहार की लोकसभा और अन्य राज्य की 7 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव टले

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बिहार में कोरोन के मरीज दिनपर दिन बढ़ते जा रहे हैं। कोविड-19 महामारी के चलते और मॉनसून आने से बिहार में बाढ़ की स्थिति बनने के कारण बिहार

नई दिल्ली: बिहार में कोरोन के मरीज दिनपर दिन बढ़ते जा रहे हैं। कोविड-19 महामारी के चलते और मॉनसून आने से बिहार में बाढ़ की स्थिति बनने के कारण बिहार में एक लोकसभा और अन्य राज्यों में  सात विधानसभा चुनाव को टाल दिया है। अब इन सीटों पर उप चुनाव के लिए आयोग आज बैठक करेगा। बता दें कि जिन राज्यों में चुनाव टले हैं। उनमें एक सीट लोकसभा की है जो वाल्मीकि नगर से है। उसके बाद विधानसभा की जिन सीटों पर चुनाव रद्द् हुआ है इस प्रकार है। तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में विधानसभा की दो-दो सीटें तथा असम, मध्य प्रदेश और केरल में विधानसभा की एक-एक सीट शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर सीटें वो हैं जिनके प्रतिनिधियों का निधन हो गया है।

बता दें कि चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि चुनाव के रद्द् करने के दो कारण है एक बिहार में बाढ़ से बिगड़े हालात और दूसरी कोविड-19 महामारी, आयोग के अधिकारी ने कहा कि महामारी के चलते ये फैसला लिया गया है। अधिकारी ने कहा कि अगर जमीनी हकीकत की बात करें तो इस वक्त कोरोना के मरीज बहुत ज्यादा है और ऐसे में अगर उपचुनाव हुए तो जनस्वास्थ्य की हानि हो सकती है। वहीं मानसून के बाद देश के ज्यदातर हिस्सों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। जिसके कारण भी कई राज्यों में सात विधानसभा सीटों के चुनाव टाल दिए गए हैं।

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अधिकारी ने इस बात का जिक्र किया चूंकि जिला प्रशासन मॉनसून एवं बाढ़ से उपजी स्थिति से निपटने में व्यस्त होगा, ऐसे में अभी उप चुनाव कराने का सलाह देना सही नहीं होगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चुनाव कानून के मुताबिक चुनाव आयोग को किसी सीट के रिक्त होने पर 180 दिन (छह महीने) के अंदर उप चुनाव कराना होगा।

साथ ही इन सीटों पर उप चुनाव कराने की छह महीने की समय सीमा जुलाई, अगस्त और सितंबर की विभिन्न तारीखों पर समाप्त हो रही है। अधिकारी ने बताया कि आयोग ने जब स्थिति की समीक्षा की तब पाया कि इन सीटों पर छह महीने की समय सीमा का पालना करना मुश्किल है और उप चुनाव टालने के लिये केंद्रीय कानून मंत्रालय से संपर्क किया। उल्लेखनीय है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 के तहत कुछ खास मामलों में, चुनाव आयोग केंद्र सरकार (केंद्रीय कानून मंत्रालय) की सलाह से यह प्रमाणित करता है कि छह महीने की समय सीमा के अंदर उप चुनाव कराना मुश्किल है। चुनाव आयोग ने इस प्रावधान का उपयोग करते हुए इन आठ सीटों पर उप चुनाव टालने के लिये 22 जुलाई को एक प्रमाणपत्र जारी किया।

आयोग ने एक बयान में बृहस्पतिवार को कहा , ‘‘उप चुनाव के समय आदि का यह विषय भी कल (शुक्रवार) को होने वाले चुनाव आयोग की बैठक के लिये निर्धारित है।”बयान में कहा गया है कि कुल 56 विधानसभा सीटों और लोकसभा की एक सीट पर उपचुनाव होना है। इनमें उप चुनाव टाल दी गई आठ सीटें भी शामिल हैं। हालांकि, चुनाव आयोग ने कहा कि उसके एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इन आठ सीटों पर उपचुनाव के बारे में कानून मंत्रालय को लिखे पत्र के कारण कुछ भ्रम की स्थिति बनी है। आयोग ने स्पष्ट किया, ‘‘यह सिर्फ आठ सीटों के बारे में है, जिसका उल्लेख कानून एवं न्याय मंत्रालय को किया गया है… कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ असाधारण परिस्थितियां पैदा हो गई हैं। ‘बयान में कहा गया है कि आयोग ने सात सितंबर 2020 तक सिर्फ इन आठ सीटों पर उप चुनाव टालने का निर्णय लिया है। शेष 49 निर्वाचन क्षेत्रों में सात सितंबर के बाद उप चुनाव होने हैं।

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