सार्वजनिक क्षेत्र की एक बीमा कंपनी के निजीकरण की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है। जिसके लिए यूनियन कैबिनेट ने जनरल इंश्योरेंस बिजनेस नेशनलाइजेशन एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी है। और विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।
GIBNA में संशोधन को मंजूरी
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल से GIBNA में संशोधन को मंजूरी मिल गई है। विधेयक सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में अधिक से अधिक निजी भागीदारी को आसान बनाने का रास्ता साफ करता है। रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट ने इस संबंध में बुधवार को ही फैसला ले लिया था, लेकिन सरकार ने इसकी घोषणा नहीं की।
भारत सरकार के पास रहेगा कंट्रोल
इस प्रोविजन के हट जाने के बाद सरकारी कंपनियों के निजीकरण का रास्त साफ हो जाएगा। यह पाबंदी हटने के बाद FDI कंपनी में 74 फीसदी तक हिस्सेदारी खरीद सकते हैं। जबकि मैनेजमेंट और कंट्रोल भारत सरकार के पास ही रहेगा।
वित्त मंत्री ने की थी घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में बड़े स्तर पर निजीकरण की घोषणा की थी। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी शामिल हैं। दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का नाम के बारे में सुझाव और सिफारिश देने की जिम्मेदारी नीति आयोग को दी गयी है।
अधिनियम कब हुआ था लागू ?
बता दें ये अधिनियम 1972 में लागू हुआ था, और इसमें साधारण बीमा कारोबार के विकास के जरिये अर्थव्यवस्था की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए भारतीय बीमा कंपनियों और अन्य मौजूदा बीमा कंपनियों के उपक्रमों के शेयरों के अधिग्रहण और हस्तांतरण की अनुमति का प्रावधान किया गया था।