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Budget 2022: लियाकत अली खान ने पेश किया था भारत का पहला अंतरिम बजट, बाद में बने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

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Budget 2022: अगले वित्त वर्ष 2022-23 का बजट 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट होगा। सरकार हर साल बजट पेश करती है जिसमें आय व खर्च के ब्यौरे के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाली घोषणाएं और प्रावधान किए जाते हैं।

आजादी के बाद कई वित्त मंत्री आए, कुछ वित्त मंत्री ने पहली बार बजट पेश किया, कुछ ने अपने जन्मदिन पर बजट पेश किया और कुछ ने सबसे अधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाया। इसी प्रकार किसी ने सबसे लंबा बजट भाषण दिया और किसी ने सबसे छोटा बजट भाषण दिया। इन सबके बीच एक वित्त मंत्री ऐसे भी रहे जिन्होंने कभी भारत का बजट पेश किया था लेकिन कुछ समय बाद वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। इसमें ये बात उठती है कि बजट किस ने पेश किया।

बजट शब्द की उत्पति 
हम अक्सर किताबों में एक भाषा का जिक्र पढ़ते हैं। इसी भाषा से कई शब्दों के अर्थ निकाले जाते हैं। भाषा का नाम है ‘लैटिन’। लैटिन भाषा में आय और व्यय के ब्यौरे को ‘बुल्गा’ कहते हैं। बुल्गा का मतलब होता है- चमड़े का थैला। तो वहीं फ्रांस की भाषा में ‘बोऊगेट’ कहते हैं। अंग्रेजी में यह शब्द बोजेट कहलाया। कालांतर इसे बजट कहा जाने लगा। लेकिन भारत में यह शब्द अब ‘बहीखाता’ कहलाने लगा है।

 भारत का पहला बजट 
1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध पहली स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी गई। मुल्क के हर हिस्से में भीषण विद्रोह हुआ। अंग्रेजी साम्राज्य की संपत्तियों को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाया गया। इस क्रांति की वजह से अंग्रेजों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई।
सामान्य भाषा में कहें तो उनका बजट बिगड़ गया। तब याद किया गया जेम्स विल्सन को। जेम्स विल्सन उस समय के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और ‘द इकोनॉमिस्ट’ जैसी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के संस्थापक है। सन 1860 में जेम्स विल्सन ने भारत का पहला बजट पेश किया। जेम्स विल्सन ने ही भारत में संगठित कर ढांचे का मसौदा भी पेश किया था।

भारत का पहला अंतरिम बजट 
सन् 1946 में अंग्रेजों ने फैसला कर लिया था कि वो अब भारत से चले जाएंगे। उनके ना रहने की स्थिति में देश की व्यवस्था को चलाने के लिए एक तंत्र की जरूरत थी। बस यहीं से भारत की व्यवस्थाओं का नियंत्रण धीरे-धीरे देश के नेताओं और अफसरों को देने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके लिए आजादी से पहले 02 सितंबर 1946 को पहली अंतरिम सरकार बनाई गई थी। इसके मुखिया बने थे पंडित जवाहर लाल नेहरू।

इसी पहली अंतरिम सरकार में पहले अंतरिम वित्त मंत्री बनाए गए थे- लियाकत अली खान। लियाकत अली खान तब मोहम्मद अली जिन्ना के राइट हैंड हुआ करते थे। जिन्ना की अनुमति पर मुस्लिम लीग के नुमाइंदे के रूप में लियाकत अली खान को अंतरिम सरकार में यह महत्वपूर्ण भूमिका मिली थी। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद लियाकत अली आजाद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे।
लियाकत अली खान का एक परिचय यह भी है कि वह उत्तर प्रदेश प्रांत की राजनीति करते थे। वह मेरठ और मुजफ्फरनगर से स्टेट असेंबली का चुनाव लड़ते थे। लियाकत अली खान का एक परिचय उनका हिंदू विरोधी होना भी है। अक्सर हिंदू मंत्रियों के भुगतान में जानबूझकर विलंब किया करते थे।

सरदार पटेल ने तो एक बार यह शिकायत भी की थी कि वह बिना लियाकत अली की अनुमति के एक चपरासी भी नियुक्त नहीं कर पाते हैं। 16 अक्टूबर 1951 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में कंपनी बाग नाम के स्थान पर मुस्लिम लीग की एक सभा बुलाई गई थी।
मंच पर मौजूद थे लियाकत अली खान और उन्होंने अपने भाषण का संबोधन चालू किया। अपने संबोधन में लियाकत अली खान ने ‘विरादरान हे मिल्लत’ कहा ही था कि उनको गोलियों से भून दिया गया। इस तरह से भारत के पहले अंतरिम वित्त मंत्री का सफर समाप्त हो गया।

कैसा था पहला अंतरिम बजट 
लियाकत अली खान ने जो पहला बजट पेश किया था उसे “पुअर मैन बजट” या “सोशलिस्ट बजट” (socialist budget) कहा जाता है। इस बजट में गरीब आबादी के लिए विशेष प्रावधान किए गए थे, तो वहीं पूंजीपतियों के लिए कई कठिन पाबंदियां लगा दी गई थीं। तब पूंजीपतियों ने इस बजट का भारी विरोध किया था। तब यह बजट महज 171 करोड़ रुपए का था।

आजाद भारत का पहला बजट किसने पेश किया?
आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को आर के षणमुखम सेठी ने पेश किया था। वह एक सफल वकील, अर्थशास्त्री और राजनेता थे। सन 1933 से 1935 तक वह भारत के केंद्रीय विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे थे। बजट पेश करते समय आर के षणमुखम सेठी ने खुद को सौभाग्यशाली बताया था। कालांतर उनकी मौत हृदय गति रुकने से हो गई थी।

गणतंत्र भारत का पहला बजट पेश 
26 जनवरी सन 1950 को भारत का संविधान लागू हो गया और इसके साथ ही भारत गणतंत्र गणराज्य के रूप में स्थापित हुआ। इसके बाद 28 फरवरी 1950 को जॉन मथाई ने गणतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया था। यह वही बजट था जहां से सुप्रसिद्ध योजना आयोग की स्थापना की गई थी। इसके बाद भारत के पहले रिजर्व बैंक गवर्नर सी डी देशमुख वित्त मंत्री बने थे। सी डी देशमुख ने 1951-52 में अंतरिम बजट पेश किया था।

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