लखनऊ। भारतीय मूल के इंडियन-ब्रिटिश लेखक शाहीन चिश्ती की पुस्तक ‘द ग्रैंड डॉटर प्रोजेक्ट’ (The Grand Daughter Project) का विमोचन लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र महिलाओं के बिना विकास की कल्पना नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं आधी आबादी हैं। इसलिए महिलाओं को 30 नहीं 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए।
इंडियन-ब्रिटिश लेखक शाहीन चिश्ती की पुस्तक द ग्रैंड डॉटर प्रोजेक्ट में महिलाओं के विकास को लेकर कई बातें कहीं गईं हैं। महिलाओं का उत्थान किसी भी देश के लिए कितना जरूरी है, इस पुस्तक के माध्यम से उसको समझा जा सकता है।
महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि अभी उन्होंने इस पुस्तक को पढ़ा तो नहीं है लेकिन लेखक शाहीन चिश्ती ने जो बताया है उसके आधार पर कह सकती हूं कि इसको सबको पढ़ना चाहिए। उन्होंने शाहीन चिश्ती की तारीफ करते हुए कहा कि लंदन में रहने के बाद भी अपनी जन्मभूमि से जुड़े रहना वाकई में काबिलेतारीफ है। इतना ही नहीं महिलाओं को लेकर काम करना और उनके बारे में सोचना भी एक बड़ी बात है।
संयुक्ता भाटिया ने कहा कि पुस्तक की नाम से परिलक्षित हो रहा है कि इसके अंदर क्या होगा। मैं इतना कहना चाहती हूं कि नाना-नानी हों या दादा-दादी, इनका स्नेह हमेशा अपने नाती-पोतों से रहा है। इस पुस्तक के नाम के अनुसार भी कुछ ऐसा ही लग रहा है। उन्होंने कार्यक्रम में आईं अल्पसंख्यक आयोग की रूमाना सिद्दीकी को लेकर कहा कि उनके साथ मैंने काम किया है। इसलिए हर वर्ग की महिलाओं की सामाजिक परिस्थितियों की समझ है। इस दौरान उन्होंने बरेली आईं डॉ नीतू शर्मा, ऊरूषा राणा, सुमन सिंह रावत आदि का स्वागत भी किया।
महापौर ने मंच पर मौजूद शाइस्ता अंबर की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के हक की लड़ाई को शाइस्ता अंबर ने बेतरीन अंदाज में लड़ा और जीता भी। हर महिला को इनसे सबक लेना चाहिए।
महिलाओं के लिए किए गए अपने कामों को भी गिनाया
महापौर ने कहा कि वह लखनऊ की पहली महिला मेयर हैं। इस दौरान उन्होंने कई नए प्रयोग किए। कहा कि हमने लोगों की समस्याओं के निस्तारण के लिए लोक मंगल दिवस की शुरूआत की। इसके अलावा सदन में अक्सर होता था कि महिला पार्षदों की जगह उनके प्रतिनिधि के रूप में पति या कोई दूसरा पुरूष ही हावी रहता था। उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जाता था। महिला पार्षद बोलना तो जानतीं थीं लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिल पाता था। साथ ही वे झिझकती भी थीं। इसको देखकर हमने महिला सदन बुलाया। जिसमें सिर्फ और सिर्फ महिला पार्षद ही शामिल हुईं। महापौर ने कहा कि इस महिला सदन में जिसका महिला पार्षदों ने अपनी बात रखी वो ऐतिहासिक था। उसके बाद उन्होंने आम सदनों में भी उतनी ही दमदारी से अपनी बात रखना शुरू कर चुकी हैं। अब तो कई पुरूषा पार्षदों को भी वे पीछे छोड़ देतीं हैं। इसके अलावा महापौर ने महिलाओं के लिए बाजारों में पिंक ट्वायलेट बनवाने की तैयारी, महिला बाजार की स्थापना आदि समेत कई कामों को गिनाया।
मेयर ने कहा- महिलाओं को अवसर दें
महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि महिलाओं को तो मौका नहीं मिल पाता है। अन्यथा जब जब अवसर मिला है हमने परचम फहराया है। चाहे वो एवरेस्ट की चोटी हो या तीन तलाक का मुद्दा। महापौर ने कहा कि ओलंपिक में महिलाओं ने भी खूब पदक जीते, परीक्षा परिणामों में भी बेटियां आगे रहतीं हैं। यह पीएम मोदी और सीएम योगी के अभियानों का परिणाम है।
महिलाओं को मिले 50 फीसदी आरक्षण
महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात कही जा रही है। लेकिन, मेरा मानना है कि हम आधी आबादी हैं। इसलिए 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अपने मुद्दों पर महिलाओं को खुद आगे आकर बोलना होगा। उन्हें किसी और के भरोसे रहने की आदतों को त्यागना होगा।
औरतें काम करेंगी तो और टैक्स मिलेगा, विकास होगा: शाहीन चिश्ती
लेखक शाहीन चिश्ती ने कहा कि यूपी में गंगा बहती हैं। हम उनको मैया कहते हैं। मां सबका ख्याल रखती हैं। उसी प्रकार गंगा मैया हम सबका ख्याल रखती हैं। उन्होंने कहा कि लड़कियों को हर क्षेत्र में आगे आना चाहिए। महिलाओं के विकास को लेकर अभी और काम करने की जरूरत है। औरतों के विकास के बिना हम विकसित नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि अगर औरतें भी बराबरी से हमारे साथ काम करेंगी तो देश को और टैक्स मिलेगा। देश का और विकास होगा। उन्होंने कहा कि कई मंटीनेशनल कंपनियां औरतों के लिए साधन बनाती हैं। इसको समझने की जरूरत है कि वहां पर भी पुरूष काम करते हैं। उन्होंने यह भी कि औरतें तानाशाह नहीं होतीं। कई तानाशाह हुए लेकिन ज्यादातर पुरूष ही रहे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को और सुरक्षा देने की जरूरत है। महिलाओं को हर क्षेत्र में 10 से 35 फीसदी अतिरिक्त जगह देने की जरूरत है।
लेखक के बारे में
द ग्रैंड डॉटर प्रोजेक्ट के लेखक शाहीन चिश्ती 15 साल की उम्र में भारत छोड़कर लंदन चले गए थे। जिसके बाद उन्होंने वहां पर अपनी शिक्षा पूरी की। शाहीन चिश्ती विश्व शांति के पक्षधर हैं। साथ ही वे लंदन लिटरेसी सोसायटी एंड मुस्लिम जेविश फोरम लंदन के सदस्य भी हैं। इसके अलावा जेविश इस्लामिक इंटरनेशनल पीस सोसायटी के संस्थापक भी हैं। फिक्शन और नॉन फिक्शन लेखन में महारत हासिल कर चुके शाहीन चिश्ती महिलाओं के उत्थान को लेकर कई काम कर रहे हैं। विशेषक मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा और उनके उत्थान को लेकर वे लगातार काम कर रहे हैं। द ग्रैंड डॉटर प्रोजेक्ट उनका पहला नोवेल है। शाहीन चिश्ती की अस्मीन और साइमा नाम की दो बेटियां हैं।