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बिहार की तर्ज पर यूपी में भी महागठबंधन के आसार!

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दिल्ली/लखनऊ। यूपी के विधान सभा चुनावों का रण सज रहा है। हर पार्टी अपनी-अपनी तैयारियों में लगी है। हर राजनीतिक खेमें में जोड़-तोड़ की सियासत तेजी के साथ चल रही है। ऐसे में प्रदेश के राजनीतिक समीकरण में हासिए पर खड़ी पार्टी कांग्रेस अपनी चुनावी गणित सुधारने के लिए अब सपा की ओर देख रही है। दूसरी तरफ समाजवादी कुनबे में मची रार के बाद जनता में आपसी विवाद के मैसेज से चुनावी गणित गड़बड़ होने के आशंका से भयभीत है। ऐसे में ये दोनों ही पार्टियां आगामी चुनाव में भाजपा और बसपा को सत्ता के करीब पहुंचने से रोकने के प्रयास में अपनी गणित लगाते हुए एक दूसरे की पूरक बन सकती हैं। इसी लिहाज से सपा के जोड़-तोड़ के खेल के मास्टर सपा के महासचिव अमर सिंह और कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बातचीत कर इस मुद्दे पर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह से मुलाकात की।

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क्या वजह हुई सपा से दोस्ती का हाथ मिलाने की
यूपी की राजनीति में 1990 के दशक से हाशिए की मार झेल रही कांग्रेस सत्ता से उतनी ही दूर है जितना धरती से चांद लेकिन बार पर उचक कर चांद छूने की कोशिश कर रही है। ऐसे में पार्टी ने अपने चुनावी सफर का आगाज करते हुए सूबे में ब्राह्मण वोटरों को साधन के लिए शीला का कार्ड खेला था शीला के जरिए उसे लगा था कि सत्ता के करीब पहुंच सकती है लेकिन शीला कार्ड का कोई खास असर प्रदेश की चुनावी गणित पर ना पड़ा देख औऱ लगातार राहुल गांधी की फ्लाप शो रही खाट पंचायत के बाद कांग्रेस की रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अब बिहार चुनाव की तर्ज पर महागठबंधन कार्ड खेला है। इस कार्ड को वो सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के साथ खेलना चाहती है। क्योंकि सूबे में अखिलेश की छबि बिहार में नीतीश कुमार की तरह है। कांग्रेस को लग रहा है कि अखिलेश की फोटो को फ्रेम मे सजा कर उसके सीटों का प्रतिशत तो बढ़ेगा साथ ही वह राजोनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सूबे में भाजपा के चुनावी रथ को भी रोक पायेगी।

क्या है कांग्रेस का फार्मूला
सूबे में कांग्रेस सपा से हाथ मिलाना चाहती है जिसके लिए उसने एक फार्मूला भी तैयार किया है वह बिहार की तर्ज पर मुलायम शिवपाल और अमर सिंह को सूबे की सत्ता से लालू यादव की तरह अलग रख केवल अखिलेश को ही सत्ता की चाबी दिए जाने की बात का फार्मूला तैयार कर रही है। सूत्रों की माने तो राहुल अकलेश से चुनावी तालमेल करने के लिए तैयार हैं।इसके साथ ही वह सूबे में 125 से 150 सीटों के बीच अपनी गणित तय कर सकते हैं। वे अखिलेश को ही आगे रखकर महागठबंधन की नींव डालना चाहते हैं, क्योंकि जनता में अखिलेश की छबि का क्रेज है, जिसको महागठबंध के बैनर पर काफी लाभ मिल सकता है।

अमर सिंह पीके के जरिए साध रहे हैं अपनी गणित
समाजवादी कुनबे में विवाद के पीछे का मास्टर माइंड के तौर पर अमर सिंह पर अखिलेश लगातार एक के बाद एक वार किए जा रहे हैं। ऐसे में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने सें अमर सिंह को काफी परेशानी हो रही है। इस लिहाज से अमर सिंह अपना वर्चस्व सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह की नजर में लाने केलिए भी कांग्रेस के साथ महागठबंधन को बनाने पर जोर दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो अमर सिंह की कोशिश से ही कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की मुलाकात संभव हो पाई है। अगर गठबंधन हुआ तो अमर सिंह इस मामले में अहम भूमिका निभा सकते हैं , इस तरह वो अखिलेश को मुलायम और कांग्रेस के जरिए साध सकते हैं।

मुलायम और प्रशांत किशोर ने की मुलाकात
सूत्रों की माने तो कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सपा के मुखिया मुलायम सिंह से मुलाकात के दौरान कांग्रेस आला कमान के फार्मूले अखिलेश को ब्रांड बनने की बात को सामने रख महागठबंधन पर चर्चा की। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अखिलेश को आगे रख कर ही हम सत्ता को वापस पा सकते हैं । क्योंकि जनता अखिलेश की छवि की कायल है। उन्होंने ने सपा सुप्रीमो को सुझाते हुए कहा कि छोटे दलों को साथ लेकर एक मजबूत महागठबंधन तैयार किया जाये वरना, बसपा और भाजपा की सीधी लड़ाई हो सकती है। ऐसे में सपा से यादव टूट सकते हैं और मुस्लिम भी इससे सपा को भी नुकसान होगा ।

सूबे के राजनीतिक समीकरण पर महागठबंधन का असर
सूबे में सियासी गणित को लगाने बैठे रणनीतिकार साफ तौर पर लड़ाई के मैदान में सपा की कलह के बाद अखिलेश की छवि पर दांव लाने को तैयार हैं। कांग्रेस अपना शीला कार्ड बैक कर अखिलेश को लेकर आगे की प्लान कर रही है। प्रशांत किशोर की मुलायम से मुलाकात ने इस बात को साफ कर दिया है। इस मुलाकात ने सियासी गलियारों में गहमागहमी बढ़ा दी है। सूबे की सत्ता में अगर जंग भाजपा और बसपा की हुई तो मुस्लिम मतदाता सपा और कांग्रेस को छोड़ बसपा की तरफ जायेगा, जिसके कुछ हद तक संकेत मिलने लगे हैं। ऐसे में मायावती के हाथ में सत्ता की चाभी जाने से रोकने के लिए यादव वर्ग भाजपा में ऐसे में सबसे बड़ी क्षति सपा की होगी और कांग्रेस हाशिए से उभर नहीं पायेगी। अब भाजपा और बसपा को सत्ता से रोकने के लिए कांग्रेस अपने साथ सपा और अन्य दलों का बिहार चुनाव की तर्जो पर महागठबंधन बना कर लड़ने के फिराक में लगी है।

इसके साथ ही सूबे में युवा छवि के क्रेज के तौर पर अखिलेश की जनता में बनी साख को भुनाने के लिए पूरी तरह से तैयारी कर रही है। इसी के लिए कांग्रेस ने अपने रणनीतिकार प्रशांत किशोर को गठबंधन को जोड़ने की बागडोर सौंपी है, जिससे एक तरफ सत्ता की चाभी हाथ में आ सके और सूबे में खिलेश राहुल-प्रियंका डिंपल और जयंत चौधरी के युवा चेहरे दमदारी के साथ जनता के बीच उभर सकें क्योंकि यूपी की गणित ही 2019 के लोकसभा में हाशिए पर पहुंचे विपक्ष को सत्ता में वापसी के रास्ते में खड़ा कर सकता है।

piyush-shukla(अजस्रपीयूष)

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