नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के बाद ऐसा माना जा रहा था कि यूपी में बनने वाले गठबंधन में उसकी दावेदारी मजबूत होगी. उसके अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है. सूबे में सपा-बसपा के साथ होने वाले गठबंधन में कांग्रेस को दरकिनार किया जा सकता है.
जल्द हो सकता है एलान
सपा-बसपा गठबंधन में सीटों का फॉर्मूला तकरीबन तय हो गया है. माना जा रहा है गठबंधन का औपचारिक ऐलान मायावती के जन्मदिन पर हो सकता है. सीटों के बंटवारे के जिस फ़ॉर्मूले पर सहमति बनी है उसके मुताबिक इस गठबंधन में अजीत सिंह की रालोद को भी शामिल किया गया है.
इन सीटों पर नहीं लडेगी सपा-बसपा
बसपा 38, सपा 37 और रालोद तीन सीटों पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा लेगी. हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद गठबंधन की गुंजाइश बनी रहे, लिहाजा गठबंधन कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन प्रत्याशी नहीं उतारेगा. साथ ही सपा अपने कोटे की कुछ सीटें भी अन्य छोटे दल जैसे निषाद पार्टी, पीस पार्टी को दे सकती है.
कहा जा रहा है कि सीट बंटवारे के इस फ़ॉर्मूले पर दोनों ही दलों के शीर्ष नेताओं में सहमति बन चुकी है.. आरएलडी के खाते में बागपत, मुजफ्फरनगर और कैराना संसदीय सीटें दी जाएगी. सपा और बसपा- दोनों पार्टियां कांग्रेस के साथ यूपी में गठबंधन करने के मूड में नहीं है.
हाल ही में हुई पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियां कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ी थीं. हालांकि नतीजों के बाद दोनों पार्टियों ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन दिया है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अकेले चुनावी मैदान में उतरना पड़ सकता है.
हालांकि गठबंधन की गुंजाइश बनी रहे, इस लिहाजा से सपा-बसपा कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन प्रत्याशी नहीं उतारेंगी. साथ ही सपा अपने कोटे की कुछ सीटें भी अन्य छोटे दल जैसे निषाद पार्टी, पीस पार्टी को दे सकती है.