वाराणसी: अब तक आपने काशी में लगने वाले लखटकिया मेलों के बारे में सुना या देखा होगा, लेकिन अब इन मेलों को एम.ए के कोर्स नें शामिल कर दिया गया है। इसकी शुरुआत की है- काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने।
अब काशी हिंदू विश्वविद्यालय में जिले में लगने वाले मेलों पर शोध कोर्स किए जाएंगे और उसका सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। काशी एक ऐसी नगरी है, जहां सात वार और आठ त्योहार की मान्यता है। यहां की धर्म संस्कृति और अध्यात्म विश्व प्रसिद्ध है, जिसे हर कोई देखना और समझना चाहता है।
जुलाई माह से शुरू होगा कोर्स
काशी में लगने वाले लोटा-भंटा, नाग नथैया, देव दीपावली, सुरैया जैसे लखटकिया मेलों के धार्मिक और पौराणिक महत्व हैं। अब इनकी विशेषता पर शोध कर सकते हैं, वो भी एम.ए की डिग्री के साथ। बनारस विवि में इसकी शुरुआत आगामी जुलाई माह से होने जा रही है। इसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान के तहत शुरू किया जा रहा है, जिसे काशी अध्यन केंद्र के जरिए छात्र-छात्राओं तक पहुंचाया जाएगा।
कोर्स को मिल गई मंजूरी
विवि के सामाजिक विज्ञान संकाय विभाग के डीन कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रहे इस अनोखे कोर्स को लेकर छात्र भी खासा उत्साहित हैं। काशी की धर्म और मेलों पर पहली बार शुरू हो रहे ऐसे कोर्स का छात्र स्वागत कर रहे हैं। इससे विदेशों से आकर यहां के अनोखे मेलों की जानकारी हासिल करने के लिए किताबों को तलाशने वाले छात्रों को भी मदद मिलेगी। इसी सोच के साथ हमने एक कोर्स तैयार किया, जो मंजूर भी किया जा चुका है।
अब बीएचयू के काशी अध्ययन केंद्र के जरिए विदेशी छात्रों को काशी के मेलों की जानकारियां आसानी से मिल सकेंगीं। बता दें कि काशी विश्व की सबसे प्राचीन नगरी कही जाती है। यहां के मेले और त्योहार भी पौराणिक हैं। ऐसे में देश और विदेश में धर्मों और त्योहारों पर शोध करने वाले छात्रों के लिए ये बड़ी खुशखबरी है, जिसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने साकार किया है।