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जानिए किस मंदिर के दर्शन बिना गोवर्धन परिक्रमा है अधूरी

hardevji जानिए किस मंदिर के दर्शन बिना गोवर्धन परिक्रमा है अधूरी

गिरिराज जी की तलहटियों में मानसी गंगा के तट के सामने दक्षिण पश्चिमी भाग में श्री हरिदेव जी का मंदिर है। मनसादेवी, मानसीगंगा तथा हरिदेव जी ये तीनों दिव्याकर्षण पास-पास ही विराजमान है। श्री हरिदेव जी के मंदिर के श्री विग्रह का प्राकट्य संत श्री केशवाचार्य जी द्वारा किया गया था।

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इस मंदिर का निर्माण सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक राजा टोडरमल ने कराया था और औरंगजेब ने इसे ध्वस्त किया था इसके बाबजूद आज भी यह दिव्याकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। शास्त्रों की ऐसी मान्यता है कि यदि परिक्रमा करने के बाद श्री हरिदेव जी के दर्शन न किये जाय तो परिक्रमा का फल अधूरा रह जाता है।

कृष्ण के बाल स्वरूप हैं हरिदेव

हरिदेव जी कृष्ण के वो बाल स्वरूप हैं जिन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था। श्री कृष्ण के पौत्र वज्रनाभ ने ब्रज में 4 सेव्य विग्रह स्थापित किए थे। जिनमें से हरिदेव जी एक हैं। अन्य तीन गोविंददेव जी, केशवदास जी और बलदेव जी हैं। कालांतर में ये सभी लुप्त हो गए हैं।

केशवाचार्य जी ने किया पुन: प्रकाट्य

हरिवेदव जी का पुन: प्रकाट्य केशवाचार्य जी ने किया था। कथाओं में वर्णन हैं कि उन्हें स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने सपने में दर्शन दिए थे। जिसके बाद बिछुआ कुंड की खुदाई करवाई गई वहीं से हरिदेव जी का दिव्य विग्रह मिला था। जिसे केशवाचार्य अपनी कुटिया में ले आए और उसका पूजन करने लगे थे।

आमेर के राजा ने करवाया था मंदिर निर्माण

सन 1637 में हरिदेव जी के मंदिर को आमेर के राजा भगवानदास ने बनवाया था। राजा भगवान दास अकबर के नव रत्नों में से एक राजा मान सिंह के पिता थे। ये विशाल मंदिर लाल बलुए पत्थर से बना है। गिरिराज जी की परिक्रमा के 2 महत्वपूर्ण स्थान मानसी गंगा और हरिदेव जी ही हैं।

एक रात में बना था मंदिर
हरदेव जी मंदिर का इतिहास 5000 वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि मंदिर की सात मंजिलें एक रात बनकर तैयार हो गईं थी। इसके बाद जब लोगों ने देखा एक रात में किस तरीके से मंदिर को भव्य रूप देकर कई मंजिल का बनाया गया है। उसमें नक्काशी के साथ लाल पत्थर का भी प्रयोग हुआ तो लोग इसे भूत-प्रेत से जोड़कर कहानियां बनाने लगे। ये दंतकथा गोवर्धन में भी प्रचलित है. यानी मान्यता बनने लगी कि इस मंदिर को भूतों ने बनाया है।

औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वाया

यह मंदिर भी औरंगजेब के मंदिर तोड़ो अभियान का शिकार हुआ। मंदिर मुगल हमले में तोड़ा गया। तब मंदिर में विराजमान हरिदेव जी का विग्रह वहां से स्थानांतरित करना पड़ा था।

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