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महंगाई, कृषि कानून और निजीकरण के खिलाफ 27 सितंबर का बिहार में भारत बंद होगा ऐतिहासिक

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बिहार में महंगाई, कृषि कानून और निजीकरण के खिलाफ 27 सितंबर का भारत बंद ऐतिहासिक होगा । कृषि कानून के खिलाफ किसानों के संघर्ष को अनसुना करने , आकाश छूती महंगाई और निजीकरण से देश के हरेक तबका परेशान है और इस परेशानी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष का 27 सितंबर को भारत बंद है। इस बंद को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने में भाकपा माले एवं उसके तमाम जन संगठन कोई कोर- कसर नहीं छोड़ेगी।

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बता दें कि आइसा, इनौस, ऐपवा, खेग्रामस, मनरेगा मजदूर सभा, किसान महासभा, इंसाफ मंच, जसम, कर्मचारी महासंघ गोपगुट, ऐक्टू, निर्माण मजदूर युनियन आदि 12 से अधिक संगठनों के संयुक्त बैठक को शहर के मालगोदाम चौक स्थित भाकपा माले जिला कार्यालय में संबोधित करते हुए माले पोलिट ब्यूरो सदस्य सह मिथिलांचल प्रभारी का० धीरेंद्र झा ने सभी बातों को कहा। उन्होंने कहा कि नये तीनों कृषि कानून के दुष्परिणाम देखने को मिल रहा है।

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जमाखोरी के कारण आवश्यक सामग्री की कीमत आकाश छू रही है। देशवासी पहली वार सरसों तेल 2 सौ रूपये, रसोई गैस 1 हजार रूपये, डीजल 90 रुपये, पेट्रोल 105 रू० लीटर की उंची कीमत पर खरीद रहे हैं। 70 साल में अर्जित की गई राष्ट्रीय संपत्ति से लेकर धरोहर तक को अपने लगुआ- बझुआ के हाथों औने- पौने दामों में बेचा जा रहा है। रेल, जहाज, लालकीला, एचपीसीएल, कोल इंडिया, बैंक, पेट्रो कंपनी, एलआईसी, सेल, भेल आदि को बेचा जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी की छंटनी हो रही है। नई बहाली के रास्ते बंद हो रहे हैं।

वहीं 44 लेबर कानून को हटाकर कारपोरेट घराने के लाभ के लिए 4 श्रमकोड लाकर मजदूरों के संघर्ष को रोकने की कोशिश की जा रही है। छात्रों के सिलेबस से राजनीति विज्ञान से लेकर स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरणादायी अध्याय हटाया जा रहा है. छात्र, नौजवान, मजदूर, किसान, कर्मचारी, व्यवसाई आदि को चौतरफा परेशानी में डाल दिया गया है।

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इसके खिलाफ किसान- मजदूर संगठन के आह्वान पर संयुक्त विपक्ष का 27 सितंबर को भारत बंद है। इस बंद को ऐतिहासिक बनाने के लिए गांव- टोला से लेकर शहर के नुक्कड़ तक बैठक, जन संवाद, महापंचायत, जुलूस, नुक्कड़ सभा, पदयात्रा के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक मोदी सरकार की जन विरोधी नीति को ले जाना है। माले राज्य स्थाई समिति सदस्य बैजनाथ यादव ने कहा कि देशबेचू-आदमखोर सरकार को सत्ता से हटाकर ही देश को बचाया जा सकता है और इसके लिए भाकपा माले हर कुर्बानी देने को तैयार है।

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