कैसे जाता है इंदिरा पर शक
आखिर इंदिरा ने भवरी देवी को क्यूं मारा होगा ये एक बड़ा सवाल है। अगर इस पूरे मामले की पड़ताल करें तो पता चलता है कि राजस्थान की पूर्व कांग्रेस सरकार के मंत्री महिपाल मदेरणा और भंवरी देवी के बीच नाजायज रिश्ते थे। सूत्रों की माने तो भंवरी देवी ने इस नाजायज रिश्ते की अंतरग पलों की कुछ वीडियो क्लिप बना रखी थी। जिसको लेकर गाहे-बगाहे वो मंदेरणा को ब्लैकमेल भी करती थी। लेकिन इंदिरा का इस खेल में आना बताया जा रहा है कि इंदिरा सूबे के कद्दावर नेता मलखान सिंह बिश्नोई की बहन है, वो मंदेरणा को हटा कर अपने भाई को मंत्री बनाना चाहती थी। जिसके लिए उसने भंवरी देवी से वो सीडी मांगी थी। सूत्रों की माने तो इंदिरा ही उस सीडी की मास्टर माइंड थी। इंदिरा के कहने पर ही भंवरी देवी ने वो सीडी तैयार कराई थी। इसके साथ ही मंत्री मदेरणा तक इंदिरा के भाई और विधायक मलखान सिंह ही भंवरी को लेकर गये थे।
मलखान सिंह से थे भंवरी के रिश्ते
सूत्रों की माने तो भंवरी देवी और मलखान सिंह के बीच भी पहले नाजायज रिश्ते हुआ करते थे। जिसकी देने एक बेटी भी भंवरी देवी के पास थी। अब भंवरी मलखान सिंह से बाहे-बगाहे अपनी उस नाजायज औलाद का हक मांगने लगी थी। बस ये सब धीरे-धीरे एक बड़ी वजह बन गये थे भंवरी देवी की हत्या के लिए, जिसके बाद भंवरी का अपहरण हुआ। फिर भंवरी देवी की हत्या कर उसका इल्जाम मंत्री मंदेरणा के सर मढ़ दिया गया। इंदिरा ने ही भंवरी देवी के पति को 10 लाख रूपये देकर मंत्री मंदेरणा पर इल्जाम लगाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद इस कांड को लेकर पूरा आंदोलन तक चलाया। आखिर मंत्री मंदेरणा की कुर्सी तो गई ही उनको जेल भी जाना पड़ा । लेकिन जैसे जैसे जांच की परतें खुलीं तो इंदिरा के काले कारनामे सामने आ गये। आखिरकार इनके भाई समेत 16 लोगों को भी जेल का रूख करना पड़ा। इंदिरा इस मामले में फरार चल रही थी। आखिरकार उसकी गिरफ्तारी भी हो गई है।
इस मामले में गवाहों से अंतिम जिरह चल रही है। इस मामले की एक खास गवाह फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन की डीएनए एक्सपर्ट अंबर-डी-कार की गवाही आने वाली 22 जून को होनी है । ये इस मामले की आखिरी गवाही है। इसके बाद बस फैसला का ही इंतजार होना है। अब इस मामले में आखिरी आरोपी की गिरफ्तारी होने से एक बार फिर ये मामला गरमा उठा है। आखिर किस तरह सियासत के लिए साजिश फिर सेक्स और फिर हुआ जुर्म जिसमें भंवरी को अपनी जान से आखिरकार हाथ धोना ही पड़ा।
अजस्रपीयूष