नई दिल्ली: उर्जित पटेल ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उर्जित ने निजी कारणों का हवाला दिया है। लेकिन इसके पीछे की कहानी पहले से लिखी जा रही थी। आरबीआई और सरकार के बीच तनातनी के समय भी उर्जित पटेल के इस्तीफा देने की अटकलें लग रही हैं। लेकिन उस वक्त इस तरह की खबरों पर बोर्ड की बैठक के बाद विराम लग गया था।
19 नवंबर को आरबीआई के बोर्ड की बैठक हुई थी। इसके बाद रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने के फैसले के बाद बुलाई गई पत्रकार वार्ता में भी उर्जित, सरकार से तनातनी होने के सवालों का जवाब देने से बचते रहे।
इस्तीफा देने के पीछे यह हो सकते हैं बड़े कारण
जिन कारणों से उर्जित पटेल को गवर्नर पद से इस्तीफा देना पड़ा उनमें सरकार द्वारा सेक्शन 7 का इस्तेमाल करने की बात कहना और छोटे उद्योगों के लिए लोन आसान बनाना, कर्ज और फंड की समस्या से जूझ रहे 11 सरकारी बैंकों को कर्ज देने से रोकने पर राहत और शैडो लेंडर्स को ज्यादा लिक्विडिटी देना शामिल है।
आरबीआई भी सरकार के रवैये को लेकर आक्रामक थी। उसका कहना था कि क्या सरकार बैंक कि स्वायत्तता को खत्म करना चाहती है। इसके लिए उसने 2010 के अर्जेंटीना के के वित्तीय बाजार का भी उदाहरण दिया है।
तब सरकार ने संकेत दिए थे कि वह पटेल का इस्तीफा नहीं चाहती है लेकिन बैंक के साथ कुछ मुद्दों का समाधान जरूरी है। मोदी समर्थकों ने तब साफ कर दिया था कि नीति में बड़े स्तर पर बदलाव की जरूरत है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, सरकार समर्थित बोर्ड के कुछ सदस्यों को 19 नवंबर को हुई बैठक में आरबीआई पर दबाव बनाने की स्वीकृति दे दी गई थी।