कोरोना वायरस के मामले अब रोजाना कम होते दिख रहे हैं। जिसके चलते सरकार ने भी वैक्सीन लगाने का काम जोरो से शुरू कर दिया है। ताकि कम समय में सभी लोगों को वैक्सीन लगा कोरोना वायरस को खत्म किया जा सके।
एम्स की स्टडी में हुआ खुलासा
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की ब्रेक थू्र स्टडी में यह पाया गया कि जिस भी व्यक्ति ने वैक्सीन लगवाई है उसकी कोरोना से मौत नहीं हुई है। किसी कारण से अगर वैक्सीन लेने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो जाता है। तो इसे ब्रेक थू्र इन्फेक्शन कहा जाता है। एम्स ने यह रिसर्च अप्रैल और मई महीने के बीच किया । गौरतलब है कि उस समय कोरोना देश में पूरे पीक पर था। रोजाना लाखों की संख्या में नए मरीज सामने आ रहे थे।
दोनो डोज लेने के बाद कोरोना से नहीं हुई मौत
एम्स की स्टडी में यह भी मालूम हुआ है कि जिन लोगों को कोरोना की दोनों वैक्सीन लग गई हैं। उन्हें कोरोना तो हुआ है लेकिन उनकी मौत कोरेाना से नहीं हुई है। उसकी वजह कुछ और है। एम्स ने ब्रेक थू्र इन्फेक्शन के कुल 63 मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए स्टडी की । जिनमें से 36 मरीज वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे। जबकि 27 लोगों ने एक डोज लिया था। हालांकि 10 मरीजों ने कोविशील्ड वैक्सीन ली। जबकि 53 ने कोवैक्सीन लगवाई थी। जिनमें से मरीज दोबारा से कोराना संक्रमित तो हुआ लेकिन किसी की मौत नी हुई।
कई लोगों पर की गई रिसर्च
एम्स में 21 साल से लेकर 92 साल के बुजुर्ग पर अध्यन्न किया गया। इसमें 21 साल का सबसे कम व्यक्ति और 92 साल का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति शामिल है। हालांकि लोगों के मन में अभी भी वैक्सीन को लेकर जागरूकता कम है। इसलिए विभाग द्वारा जगह जगह स्वास्थ्यकर्मी की डयूटियां लगाई जा रही है। ताकि वैक्सीन के बारे में लोगों को सही जानकारी मिल सके । इसलिए प्राथमिकता के आधार पर कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाना सबको जरूरी है।