प्रयागराज। शादियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर इलाहाबाद होईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शादियों से पहले उस पर आपत्तियां मंगाने को निजता के मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। आपको बतादें कि लव जिहाद के मामलों के बीच शादियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया और शादियों से पहले नोटिस प्रकाशित होने और उस पर आपत्तियां मंगाने को गलत माना है। हाईकोर्ट ने इसे स्वमंत्रता और निजता के मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। इसी के साथ कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम की धारा 6 और 7 को भी गलत बताया है।
इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि किसी के दखल के बिना पसंद का जीवन साथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। यही नहीं, अदालत ने बड़ा फैसला देते हुए कहा कि अगर शादी कर रहे लोग नहीं चाहते तो उनका ब्यौरा सार्वजनिक न किया जाए। इसी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि सूचना प्रकाशित कर उस पर लोगों की आपत्तियां न ली जाएं। हालांकि विवाह अधिकारी के सामने यह विकल्प रहेगा कि वह दोनों पक्षों की पहचार उम्र व अन्य तथ्यों को सत्यापित कर लें।
इसके अलावा अदालत ने टिप्पणी करते हुये कहा कि, इस तरह का कदम सदियों पुराना है, जो युवा पीढ़ी पर क्रूरता और अन्याय करने जैसा है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जस्टिस विवेक चौधरी ने ये टिप्पणी की। आपको बता दें कि, साफ़िया सुलतान की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कोर्ट ने ये आदेश दिया है।