कोरोना महामारी ने लोगों के जहन में एक ऐसा डर बैठा दिया है, जिससे दूर होने में बहुत लंबा वक्त लगेगा। कोरोना से अपनों और करीबियों को खोने वाले लोगों को हर वक्त एक डर सता रहा है कि अब उनका नंबर भी आने वाला है।
मौत के डर ने लोगों की नींद हराम कर दी है। तमाम लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अपनी या किसी करीबी की मौत के सपने आ रहे हैं। बीमारी के डर और खौफनाक सपनों से निजात पाने के लिए लोग मनोवैज्ञानिकों की मदद ले रहे हैं।
कोरोना की बेबसी ने भीतर तक हिलाकर रख दिया लोगों को
कोरोना काल की बेबसी ने लोगों को भीतर तक हिलाकर रख दिया है। अपनों को अपनी आंखों के सामने मरते देखना किसी भी इंसान के लिए बहुत दुखद होता है। कोरोना में हजारों लोगों को अपनों को खोया। कहीं इलाज न मिलने से मौत हुई, कहीं ऑक्सीजन की कमी से और कहीं सबकुछ करने के बाद भी लोग अपनों को नहीं बचा पाए।
अपने ही परिवार में असुरक्षा से घिरे से हैं तमाम लोग
तमाम लोग अपने ही परिवार में असुरक्षा से घिरे हुए हैं। दरअसल ये वो लोग हैं जिन्हें पहले कोरोना संक्रमण हुआ और उनके बाद परिवार के बाकी लोगों को। ऐसे में उन्हें ठीक होने के बाद तानों का शिकार होना पड़ रहा है। बीमारी से लड़कर टूटे लोग अपनों के तानों से बुरी तरह बिखर रहे हैं।
इस बार नौकरी, कारोबार नहीं, सता रहा मौत का डर
कोरोना की पहली लहर में लोग अपनी नौकरी और कारोबार को लेकर बेहद चिंतित दिखे। मगर दूसरी लहर में सबसे ज्यादा जद्दोजहद जिंदगी बचाने की हुई। कोरोना से मौतों का आंकड़ा काफी नीचे आने के बाद भी लोगों के अंदर बैठा डर अब तक नहीं निकला है। उन्हें अब भी लग रहा है कि पता नहीं कब क्या हो जाए।
कहीं नीं उड़ गई तो कहीं डरावने सपने छुड़ा रहे कंपकंपी
कोरोना के खौफ से लोगों की नींद गायब है। यह दिक्कत उन लोगों के साथ भी है जिन्हें कोरोना हो चुका है और अब वो ठीक हो चुके हैं। ऐसे लोगों को या तो खूब नींद आती है या नींद आती ही नहीं। तमाम लोग ऐसे भी हैं जिन्हें नींद में मौत के सपने आ रहे हैं।
डर के आगे काम नहीं आ रहा धर्म और आध्यात्म
मनोवैज्ञानिक डॉ. मीना गुप्ता ने बताया कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि जब इंसानी डर के आगे धर्म और आध्यात्म काम नहीं कर रहा। किसी को ऐसी सलाह देने पर बहुत अजीबोगरीब जवाब सुनने को मिल रहे हैं।
मेंटल हेल्थ सुधारने के लिए सरकार ने चला रखा है कार्यक्रम
कोरोना में लोगों की मेंटल हेल्थ को देखते हुए सरकार ने विशेष कार्यक्रम शुरू कर रखा है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एसोसिएशन और टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल सर्विसेज के बैनर तले चल रहे इस कार्यक्रम में देश के तमाम मनोवैज्ञानिक जुड़े हैं। जो, कोरोना काल में मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों की काउंसलिंग कर रहे हैं।
आपके परिवार में भी किसी को दिक्कत है तो ऐसे करें दूर
-कोरोना पीड़ित रह चुके या बीमारी से घबराए लोगों के सामने किसी की मौत सा संक्रमित होने का जिक्र न करें। उसे ऐसी सूचनाओं से दूर रखने की कोशिश करें।
-अगर किसी एक सदस्य के संक्रमित होने के बाद परिवार के बाकी लोग भी संक्रमित हो गए थे तो उसे इसके लिए जिम्मेदार न ठहराएं। इस बात का शुक्र मनाएं कि भगवान ने उसे और आपको संक्रमित होने के बाद भी बचा लिया।
-मीडिया, खासतौर पर न्यूज चैनलों की डरावनी खबरों से दूरी बनाकर रखें। ऐसे सीरियल भी न देखें जिनमें रोने-धोने और मरने-मारने की बातें हो रही हों।
-नींद न आने या बुरे सपने आने की दिक्कत होने पर मनोवैज्ञानिक से सलाह दें। ऐसे शख्स का हौसला बढ़ाते रहें, उसे यह एहसास दिलाएं कि जल्दी सबकुछ सामान्य हो जाएगा।
-बिजनेस, नौकरी या किसी दूसरे नुकसान के बाद में उससे चर्चा करने से बचें। कहें कि जिंदगी बच गई, अब आगे चलकर कुछ बेहतर करेंगे।
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कोरोना की पहली लहर में लोग अपने रोजगार और कारोबार को लेकर चिंतित थे। मगर इस बार हालात दूसरे हैं। लोगों को डर सता रहा है कि वो जिंदा रहेंगे या नहीं। कोरोना के केस तेजी से कम होने के बावजूद काउंसलिंग कराने वालों की संख्या बढ़ रही है। इस बीमारी ने इंसान को जो जख्म दिए हैं, उन्हें भरने में लंबा वक्त लग जाएगा।
—डॉ. मीना गुप्ता, कंसलटेंट साइकोलॉजिस्ट, लखनऊ