झारखण्ड – झारखंड के सिमडेगा जिले के रहने वाली पालनी कहती है कि अगर पापा जिंदा होते तो उसे भूखे पेट नहीं सोना पड़ता। मां के साथ सड़क किनारे वह चना की झंगरी बेचने को विवश नहीं होती। पालनी पढ़ने छाती है मगर मां के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह डाॅक्टर बन सके। क्योंकि पिता की मौत हाई ब्लड प्रेशर से वर्ष 2010 में हो गई थी। इस ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए गौतम अदाणी ने लिखा है कि ‘इतनी छोटी सी बच्ची और इतने बड़े विचार’। पालनी की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। ये बेटियां सशक्त भारत की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी दिया मदद का आश्वासन –
बताया जा रहा है कि मामला सामने आने पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उसकी मदद करने का आश्वासन दिया है। बता दे कि शुक्रवार को प्रशासनिक पदाधिकारियों ने भी उसके घर जाकर उसकी स्थिति का जायजा लिया। पालनी के अनुसार जब वह डेढ़ वर्ष की थी, तभी पिता चल बसे। मां ने किसी तरह उसे पाल कर बड़ा किया। आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि चाहकर भी स्कूल नहीं जा पा रही है। मजबूरन बस स्टैंड के पास बैठकर चना बेच रही है। मां-बेटी इसी से जीवन यापन कर रही है। उसकी मां की सेहत भी ठीक नही रहती है। इस कारण चाह कर भी वह स्कूल नहीं जा पाती। पेट पालने के लिए वह पैसे कमाने को मजबूर है। बतादे की उर्सुलाइन कान्वेंट सिमडेगा में वह नामांकित है और कक्षा छह में वह 75 फीसद अंक से पास हुई थी। मां किरण देवी कहती है कि चना बेचकर घर चलाना मुश्किल होता है लेकिन वह कर भी क्या सकती है। बेटी को पढ़ाना चाहती है परंतु उसके पास पैसे नहीं है।
मामले पर क्या कहना है जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव का –
बताया जा रहा है कि कई बार तो उसे भूखे पेट सोना पड़ता है। वह करीब 10 वर्षों से सिमडेगा में रह रही है। उसने कहा कि उसे न तो उज्ज्वला योजना का लाभ मिला है और न ही आवास योजना का। हर माह पांच किलो चावल जरूर मिलता है। उधर इस मामले पर जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि पालनी व उसके परिवार की स्थिति का आकलन किया जा रहा है। जल्द ही परिवार की यथा संभव मदद की जाएगी। इसके साथ ही पालनी की कहानी जानकर गौतम अदाणी ने अदाणी फाउंडेशन से पालनी को हर संभव सहयोग देने का निर्देश दिया है। इधर उनके निर्देश पर फाउंडेशन के कुछ लोगों ने संबंधित परिवार से संपर्क साधा है। फाउंडेशन की अध्यक्ष डाॅ. प्रीति अदाणी के अनुसार फाउंडेशन की ओर से पालनी के बैंक अकाउंट में प्रतिमाह 2500 रुपये भेजे जाएंगे ताकि न सिर्फ पालनी की पढ़ाई बेहतर तरीके से जारी रहे बल्कि उसके स्वास्थ्य और बेहतर खान-पान की भी व्यवस्था हो सके।