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1857 की क्रांति के मुख्य चेहरों के बारे में जानें क्या थी क्रांति में भूमिका

1857 की क्रांति के मुख्य चेहरे 1857 की क्रांति के मुख्य चेहरों के बारे में जानें क्या थी क्रांति में भूमिका

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और  1857 की क्राति का आगाज का कारण  1853 में अंग्रेजी फौज को ‘एनफील्ड पी 53’ बंदूकें दी  गई थी जिसके कारतूस में पानी की सीलन से बचाने के लिए गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग होता था। जब मगल पांडे को इस बात का पता लगा तो उन्होंने  चर्बी वाले कारतूसों का बहिष्यकार किया।और अपने ऑफीसर का आदेश मानने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने अंग्रेज अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।बाद में पांडे के अलावा दूसरे भारतीय सैनिक भी विद्रोह में शामिल हो गए।जिसके बाद अंग्रेजी सरकार ने 8 अप्रैल को मंगल पांडे और ईश्वर को फांसी दे उग्र हो गया। 10 मई को मेरठ छावनी की पैदल सैन्य टुकड़ी ने भी गाय की चर्बी वाले कारतूसों का बहिष्यकार कर दिया अंग्रेजी शासन के खिलाफ बगावत का शंखनाद कर दिया।

 

1857 की क्रांति के मुख्य चेहरे 1857 की क्रांति के मुख्य चेहरों के बारे में जानें क्या थी क्रांति में भूमिका
1857 की क्रांति के मुख्य चेहरों के बारे में जानें क्या थी क्रांति में भूमिका

 

क्रांति के मुख्य चेहरे जिन्होंने क्रांति में अहम भीमिका अदा की

नाना साहब का जन्म 1824 में महाराष्ट्र के वेणु गांव में हुआ था। बचपन में इनका नाम भोगोपंत था। इन्होंने 1857 की क्रांति का कुशलता पूर्वक नेतृत्व किया।तांत्या टोपे- ने देश की आजादी के लिये हंसते-हंसते प्राणो का त्याग कर दिया। इनका जन्म स्थल नासीक था। इनके बचपन का नाम रघुनाथ पंत था। ये जन्म से ही बुद्धिमान थे।

अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की क्रांति के आगाज का मुख्य तथ्य था मजहब

नाना साहब का जन्म- 1824 में महाराष्ट्र के वेणु गांव में हुआ था। बचपन में इनका नाम भोगोपंत था। इन्होंने 1857 की क्रांति का कुशलता पूर्वक नेतृत्व किया। नाना साहब सुसंस्कृत, सुन्दर व प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे। नाना साहब मराठों में अत्यंत लोकप्रिय थे। इनके पिता का नाम माधव राव व माता का नाम गंगाबाई था।1857 की क्रांति के इस महानायक का जन्म 1814 में हुआ था। बचपन से ही ये अत्यंत सुंदर थे। तांत्या टोपे ने देश की आजादी के लिये हंसते-हंसते प्राणो का त्याग कर दिया। इनका जन्म स्थल नासीक था। इनके बचपन का नाम रघुनाथ पंत था। ये जन्म से ही बुद्धिमान थे।

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, तांत्या टोपे-

कानपुर में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, तांत्या टोपे, नाना साहब ने क्रांति की लहर फ़ैलाई। इन सबने युद्ध किया। तांत्या टोपे को भी युद्ध विद्या का प्रशिक्षण दिया गया। इस समय लार्ड डलहौजी गवर्नर जनरल था। उसने मराठों से उनकी जमीन छीन ली व उन पर अपना धर्म अपनाने के लिये दबाव ड़ाला, लेकिन नाना साहब कुंवर सिंह, लक्ष्मीबाई, तांत्या टोपे जैसे धर्मनिष्ठ व स्वतंत्रता प्रिय लोगों ने उनका विरोध किया व उनसे युद्ध करने को आमादा हो गए।

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मंगल पांडे– 1857 की क्रांति के महानायक थे। ये वीर पुरुष आज़ादी के लिये हंसते-हंसते फ़ांसी पर लटक गये। इनके जन्म स्थान को लेकर शुरू से ही वैचारिक मतभेद हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इनका जन्म जुलाई 1827 में उत्तर प्रदेश (बालिया) जिले के सरयूपारी (कान्यकुब्ज) ब्राह्मण परिवार में हुआ।कुछ इतिहासकार अकबरपुर को इनका जन्म स्थल मानते हैं। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था जो कि भूमिहार ब्राह्मण थे।

बहादुर शाह जफ़र- जफर का जन्म 24 अक्टूबर, 1775 कोदिल्ली में हुआ था। इनकी माता का नाम लाल बाई व पिता का नाम अकबर शाह ( द्वितीय ) था। 1837 को ये सिंहासन पर बैठे। ये मुगलों के अंतिम सम्राट थे। जब ये गद्‌दी पर बैठे उस समय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था। इनको शायरी बेहद पसंद थी। ये उर्दू के जाने माने शायर थे व इनके दरबार में भी कई बडे़ शायरों को आश्रय दिया जाता था।

तांत्या टोपे को भी युद्ध विद्या का प्रशिक्षण दिया गया था

कानपुर में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, तांत्या टोपे, नाना साहब ने क्रांति की लहर फ़ैलाई। इन सबने युद्ध किया, तांत्या टोपे को भी युद्ध विद्या का प्रशिक्षण दिया गया। इस समय लार्ड डलहौजी गवर्नर जनरल था। उसने मराठों से उनकी जमीन छीन ली व उन पर अपना धर्म अपनाने के लिये दबाव ड़ाला, लेकिन नाना साहब कुंवर सिंह, लक्ष्मीबाई, तांत्या टोपे जैसे धर्मनिष्ठ व स्वतंत्रता प्रिय लोगों ने उनका विरोध किया व उनसे युद्ध करने को आमादा हो गए।

क्रांति के मुख्य केंद्र-कानपुर,लखनऊ,बरेली, झांसी,जगदीसपुर (बिहार) ,अलीगढ़, इलाहाबाद ,फैजाबाद प्रमुख केंद्र थे।उल्लेखनीय है कि देश की आजादी में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से नारी शक्ति की अहम भूमिका रही है। ऐसा ही एक उदाहरण है 1857 की क्रांति के बीज एक महिला की चेतना से ही बोए गए।

महेश कुमार यदुवंशी 

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