नई दिल्ली। दुनिया के मिसाइल मैन और राष्ट्रपति के नाम से जाने वाले ए पी जे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। कलाम भारतीय गंणतंत्र के 11वें राष्ट्रपति थे। वो भारत के पूर्व राष्ट्रपति जाने माने वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक अभियंता भी थे। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला और भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा।
बता दें कि इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। इसीलिए आज उनकी पुण्यतीथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेई कारुम्बु में निर्मित राष्ट्रीय स्मारक देश को समर्पित किया। कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। कलाम का जीवन जितना सादा था, उनकी उपलब्धियां उतनी ही उच्च थीं। कलाम ने अपने बल पर दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
देश को समर्पित किया अपना जीवन
अब्दुल कलाम एक ऐसे वैज्ञानिक और राष्ट्रपति रहे हैं जिन्होंने अपने बारे में न सोचकर अपना पूरा जीवन देश के नाम लिख दिया था। डॉ कलाम ने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित किया। उन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम था।
कलाम ने जिंदगी में नहीं मानी कभी हार
कलाम ने अपने जीवन में ऐसे-ऐसे मोड़ देखें हैं कि अगर उनकी जगह कोई भी होता तो हिम्मत हार कर बैठ जाता। लेकि कलाम ने कभी अपने जीवन में हार नहीं मानी। 15 अगस्त 1931 में धनुषकोडा गांव में जन्मे कलाम ने अपने जीवन के संघर्ष में अखबार तक बेचने का काम तक किया। अब्दुल कलाम ने लोगों को आगे बढ़ने के लिए कई प्रेणादायक वाक्य कहें जिनको लोग आज भी अपने जीवन में अमल में लाते हैं। कलाम हमेशा एक बात कहा करते थे कि याद रखना जब तुम्हारे साइन ऑटोग्राफ बन जाए तो समझ लेना कि तुम सफल हो गए। कलाम को हमेशा कुछ नया करने और कुछ नया पढ़ने का हमेशा जनून चढ़ा रहता था। वो हमेशा बच्चों और युनाओं को किताब पढ़ने की सलाह देते थे वो हमेशा कहते थे कि एक अच्छी किताब हजार दोस्तों से अच्छी होती है।
लेक्चर देते हुए पड़ा दिल का दौरा
कलाम को लोगों को ज्ञान देने और उनको सीख देने का इसता शौक था कि जब उनका आखिरी वक्त आया तो तब भी कलाम लोगों को सीख दे रहे थे। 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए। 83 साल के डॉ. कलाम 27 जुलाई 2015 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलांग में ‘पृथ्वी को रहने लायक कैसे बेहतर बनाया जाए’ टॉपिक पर लेक्चर दे रहे थे। उन्होंने लेक्चर शुरू ही किया था कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा और स्टेज पर ही गिर पड़े। जिसके बाद वो इस दुनिया को अलविदा कह गए।