हरदोई। जहां एक तरफ प्रदेश सरकार स्वास्थ सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। ताकि सरकारी अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों जैसा इलाज मिल सके। मगर सरकार का देखा हुआ सपना, सपना ही रह गया। अस्पताल में डॉक्टर से लेकर फोर्थ क्लास कर्मचारी तक 11:00 बजे आते हैं और 1:00 बजे अपनी कुर्सी छोड़ कर घर के लिए निकल लेते है।
कोई भी अधिकारी इन भ्रष्ट कर्मचारियों के पर कोई कारवाई नहीं करता है। मरीजों को इलाज कराने के लिए अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकलता है। कुछ मरीज तो बिना डॉक्टर से मिले हैं लौट जाते हैं। अस्पताल में मरीजों की सुनने वाला कोई भी नजर नहीं आ रहा है। कुछ चिकित्सक अपना काम इमानदारी से करते हुए नजर आते हैं। जो 2:00 बजे के बाद तक मरीजों को देख लेते हैं और उनके दर्द को अपना दर्द समझकर अच्छी दवा भी लिख देते है।
अस्पताल में जाने के बाद लगभग सभी डॉक्टर अपनी कुर्सी पर से गायब मिलते हैं। यहां तक की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की कुर्सी भी खाली पड़ी थी। पता किए जाने पर किसी को नहीं पता था कि सी एम एस कहां गए हैं। महिला अस्पताल भी लापरवाही की भेंट चढ़ रहा है। सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर बिल्डिंग तो बनवा दी है। मगर प्रशासन मरीजों का दर्द सुनने के लिए चिकित्सकों की कमी नहीं पूरी कर सका है। जिला अस्पताल आने वाले मरीजों का अस्पताल प्रशासन के खिलाफ काफी रोष देखने को मिल रहा है।