जहां पर बरसात से पूर्व ही घाघरा नदी में व्यापक जलस्तर और उफान को लेकर तटवर्तीय इलाकों से चार तहसीलों के अंतर्गत लाखों की आबादी वाले सैकड़ों गांव के लोगों की सांसे अटकी हुई हैं। वही घाघरा के विक्राल और रौद्र रूप को देखते हुए शासन के निर्देश पर प्रशासनिक अमला तटपर तो जरूर हैं लेकिन प्राशासन के द्वारा कोई ठोस पहल नहीं करने के चलते तटवर्तीय इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को कोई विशेष राहत मिलती नहीं दिख रही है।
जिलाधिकारी की माने तो घाघरा का डेंजर जॉन में सुमार बैरिया के तिलापुर व इब्राहिमाबाद नौबरार, में राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया है। यह सब कुछ लेकिन ऊंट की मुह में जीरा साबित हो रहा है। ग्रामीणों की माने तो बाढ़ व राहत के नाम पर आने वाले करोड़ों रुपए प्रशासनिक अमले के द्वारा बंदरबाट कर ली जाती हैं और स्थिति जस की तस बनी रहती है। यहां लोगों का कहना है कि घाघरा नदी का विक्राल रूप देख उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वही दूसरी तरफ अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने घाघरा और गंगा नदी का निरीक्षण किया है। अधिकारियों का कहना है कि गंगा नदी में बाढ़ जैसे हालात नहीं है लेकिन घाघरा नदी में बारिश होने के कारण जलस्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है। अधिकारी का कहना है कि जहां पर डेंजर जोन है वहां पर काम चल रहा है और लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।