नई दिल्ली। राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस महेशचंद्र शर्मा के मोर पर दिए बयान को पक्षी वैज्ञानियों ने गलत बताया है।
राजस्थान हाइकोर्ट के जज महेश चंद्र शर्मा ने बुधवार को कहा था कि मोर आजीवन ब्रह्मचारी रहता है। उन्होंने कहा कि मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए बनाया गया क्योंकि वह जिंदगी भर ब्रह्मचारी रहता है।
इसके जो आंसू आते हैं, मोरनी उसे चुग कर गर्भवती होती है। जस्टिस शर्मा के ऐसा कहने के पीछे कई प्रचलित कथाएं हैं।
हम बताते हैं कि क्या है मोर-मोरनी के बारे में प्रचलित कथाएं।
मोर-मोरनी और राधा-कृष्ष से जुड़ी एक कथा इस प्रकार है। मोर ही अकेला एक ऐसा प्राणी है, जो ब्रह्मचर्य को धारण करता है, जब मोर प्रसन्न होता है तो वह अपने पंखो को फैला कर नाचता है और जब नाचते-नाचते मस्त हो जाता है, तो उसकी आँखों से आँसू गिरते है और मोरनी इन आँसू को पीती है और इससे ही गर्भ धारण करती है,मोर में कही भी वासना का लेश भी नही है,और जिसके जीवन में वासना नहीं, भगवान उसे अपने शीश पर धारण कर लेते है।
मोर मुकुट के जरिए श्रीकृष्ण यह संदेश देते हैं कि जीवन में भी वैसे ही रंग है जैसे मोर के पंख में है। कभी बहुत गहरे रंग होते हैं यानी दुख और मुसीबत होती है तो कभी एकदम हल्के रंग यानी सुख और समृद्धि भी होती है। जीवन से जो मिले उसे सिर से लगा लें यानी सहर्ष स्वीकार कर लें।