शिवनंदन सिंह संवाददाता
लखनऊ के मोहन रोड स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में भगवान परशुराम की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। साथ ही भगवान बुद्धेश्वर महादेव की पूजा अर्चना भी की। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा भगवान परशुराम के पास फरसा भी है और साथ ही धनुष भी। इन लोगों ने शायद सोचा होगा ऐसे व्यक्ति को अनावरण के लिए बुलाया जाए जिस मंत्री के पास अस्त्र-शस्त्र रहते हो इसलिए रक्षा मंत्री को आमंत्रित करते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा की अनेक लोगों का मत है कि लखनऊ का पुराना नाम लखनपुर हुआ करता था और श्री रामचंद्र के छोटे भाई लखन जी की नगरी यह लखनऊ थी और श्री राम-सीता के विवाह में लखन जी और भगवान परशुराम जी के बीच जो तकरार हुई उससे सभी अच्छी तरह परिचित हैं। उनके विपरीत स्वभाव के बारे में भी हम सभी जानते हैं।
बावजूद उसके लखन जी की नगरी में भगवान परशुराम की प्रतिमा का ससम्मान अनावरण हो रहा तो विपरीत विचारों के बीच सामंजस्य और विरोधी विचारों के सम्मान का इससे बड़ा दूसरा उदाहरण और कोई नहीं हो सकता। भगवान परशुराम शास्त्र और शस्त्र दोनों धारण करने वाले महापुरुष थे, वह भक्ति और शक्ति के समन्वय की साक्षात प्रतिमूर्ति रहे। जब धरा पर अत्याचार बहुत बढ़ जाता है तो ईश्वर को अवतार लेना पड़ता है और ईश्वर तो एक ही हो सकते हैं चाहे राम के रूप में हो कृष्ण के रूप में हो परशुराम के रूप में हो या आने वाले समय में कल्कि के रूप में। परशुराम को भगवान के अवतार के रूप में देखा जा सकता है।
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भगवान परशुराम ने जहां जरूरत हुई शास्त्र का उपयोग किया और जहां जरूरत हुई वहां शस्त्र का भी उपयोग किया। आमतौर पर उनके आवेश रूप की ही चर्चा होती है। उनके क्षत्रिय कुल द्रोही रूप ही क्यों कहा गया। जबकि यह सच्चाई नहीं है। उनके समस्त रूपों की हमारे समाज में चर्चा होनी चाहिए।
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भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार ही नहीं है भगवान परशुराम चिरंजीवी माने गए हैं। भगवान परशुराम ने अनेक बार अत्याचार करने वाले राजाओं का नाश किया। त्रेता और द्वा%E