आज चैत्र नवरात्र का चौथा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार जब सृष्टि की रचना भी नहीं हुई थी। उस समय चारों ओर से अंधकार ही अंधकार था। तब देवी के इस स्वरूप द्वारा ब्रह्मांड का जन्म हुआ। अष्टभुजी मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट, रोग, शोक, संताप का नाश होता है।
पूजा विधि
नवरात्रि की शुरुआत में आपने जिस कलश की स्थापना की है उसकी पहले पूजा करें और अन्य देवी देवताओं की पूजा करें कलश में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवताओं का वास होता है। साथ ही इनकी पूजा के बाद देवी कुष्मांडा की पूजा आरंभ करें। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और मां कुष्मांडा को फूल अर्पित करें इसके बाद व्रत व पूजन का संकल्प लें। नियमों के मुताबिक माता की पूजा करें। उसके बाद मां कुष्मांडा की कथा सुने उनके मंत्रों का जाप ध्यान करें और अंतिम में आरती उतार प्रसाद का वितरण करें।
मां कुष्मांडा को लगाएं ये भोग
नवरात्र का चौथा दिन माता कुष्मांडा को समर्पित होता है। इस दिन मां को मालपुआ का नैवेद्य या फिर कद्दू से पेठे का भोग लगाया जाता है।
बल, यश, आयु का मिलता है आशीर्वाद
मां कूष्मांडा की उपासना करने से भक्तों के समस्त दो शोक समाप्त हो जाते हैं और भक्तों को आयु यश बल और आरोग्य में वृद्धि का वरदान मिलता है। मां कुष्मांडा अल्पाय सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली देवी है इनका वाहन सिंह है।