पुरातन संस्कृति को संरक्षित करने के लिए संगीत नाटक अकादमी में 21 मार्च से मेघदूत कांपलेक्स में क्लाइडस्कोप उत्सव की शुरुआत वेदों में लिखी गणपति पूजा से हुई।
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मंत्रों की ध्वनि ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया। इस 10 दिवसीय उत्सव में अमूर्त सांस्कृतिक संपदा फिल्म स्क्रीनिंग, ट्रेडिशनल क्राफ्ट वर्कशॉप, थियेटर वर्कशॉप और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन भी किए जाएंगे।
अमूर्त संपदा को बचाना है जरूरी
यूनेस्को का प्रतिनिधित्व कर रहे डॉक्टर अमरेश्वर गल्ला ने विलुप्त हो रही भारतीय संस्कृति के बचाओ और रखरखाव के बारे में फिल्म स्क्रीनिंग के माध्यम से लोगों के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि संस्कृति ही देश की पहचान होती है। इसके बाद कोरिया से आई मिस शिउंग आह किम ने पंसोरी और आर्ट ऑफ स्टोरी टेलिंग के बारे में बताया। इसके बाद ललित कला अकादमी द्वारा कोलकाता की दुर्गा पूजा से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। दूसरे सेशन में राजस्थान की पारंपरिक शिल्प कावड़ पर कार्यशाला आयोजित की गई।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने मोहा मन
भारत में कथा कहकर सुनाने की प्रथा बहुत पुरानी है। इसी प्रथा का एक बार फिर मंचन संगीत नाटक अकादमी में देखने को मिला। राजस्थान, उत्तर प्रदेश मैसूर से आए कलाकारों ने कथा कहकर लोगों का मन मोह लिया। राजस्थान के कावड़िया भाट, उत्तर प्रदेश के प्रचलित आल्हा गायन और मैसूर के सीता रामा की प्रस्तुति दी गई। अंत में ध्रुपद और लांगा मांगानियार लोक गायन पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई।