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यूपी: जल्द बीजेपी में शामिल होंगे प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी राजेश्वर सिंह, विधानसभा चुनाव में आजमाएंगे किस्मत!

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प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी राजेश्वर सिंह जल्द ही बीजेपी मे शामिल होंगे। इतना ही नहीं आने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी राजेश्वर चुनावी मैदान में उतरेंगे।

जल्द बीजेपी में शामिल होंगे राजेश्वर सिंह

प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी राजेश्वर सिंह कुछ ही दिनों में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। इतना ही नहीं आने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी राजेश्वर चुनावी मैदान में उतरेंगे। मूल रूप से यूपी पुलिस के एक मुठभेड़ विशेषज्ञ रहे राजेश्वर सिंह 2009 में प्रतिनियुक्ति पर ईडी में शामिल हुए थे। उन्होंने 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले और इससे उत्पन्न होने वाले मामलों सहित एयरसेल-मैक्सिस सौदे सहित महत्वपूर्ण मामलों को संभाला है।

2010 से 2018 तक खेल घोटाले जांच में की कार्रवाई 

राजेश्वर सिंह ने राष्ट्रमंडल खेल घोटाले और कोयला आवंटन में अनियमितताओं को भी संभाला है। 2010 से 2018 तक उन्होंने खेल और कोयला आवंटन में अनियमित्ताओं की जांच की। इस दौरान उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे को हिलाकर उस समय की यूपीए सरकार को हिला कर रख दिया। इसके अलावा उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ जांच और कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी।

कई भ्रष्टाचार मामलों में जांच का हिस्सा थे

राजेश्वर सिंह अब तक कई भ्रष्टाचार मामलों की जांच का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला, मधु कोड़ा और जगन मोहन रेड्डी के मामलों पर भी जांच की। मनी लॉन्ड्रिंग के राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को संभालने के लिए, उन्हें 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संरक्षित किया गया था और शीर्ष अदालत के निर्देश पर ईडी में समाहित किया गया था।

इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स से इंजीनियरिंग की

राजेश्वर सिंह इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स से इंजीनियरिंग किए हुए हैं। कानून और मानवाधिकार से जुड़े विषयों पर भी उनके पास डिग्रीयां मौजूद हैं। फिलहाल राजेश्वर सिंह लखनऊ स्थित ईडी के कार्याल में तैनात हैं। अभी उनकी 12 साल की सेवाएं बाकी हैं। राजेश्वर सिंह के खिलाफ सरकार ने साल 2018 में जांच शुरू की थी। मनी लॉन्ड्रिंग के राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को संभालने के लिए, उन्हें 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संरक्षित किया गया था और शीर्ष अदालत के निर्देश पर ईडी में समाहित किया गया था।

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