लखनऊ। पुरानी पेंशन की मांग कर रहे लाखों कर्मचारी अब आंदोलन की लड़ाई को आरपार लड़ने के मूड में आ गए हैं। सरकार से लगातार पेंशन की बहाली की मांग करते हुए पेंशन विहीन कर्मचारियों ने सभी दलों के नेताओं को मेल किया है।
अटेवा उत्तर प्रदेश के आह्वान पर NPS निजीकरण भारत छोड़ो कार्यक्रम के तहत 8 और 9 अगस्त को पूरे प्रदेश के शिक्षक कर्मचारियों ने सभी राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को मेल कर पुरानी पेंशन बहाली व निजीकरण की समाप्ति के लिए लाखों की संख्या में ई-मेल किया।
ई-मेल के माध्यम से सभी विपक्षी दलों से माँग की गई कि पुरानी पेंशन बहाली व निजीकरण की समाप्ति के महत्वपूर्ण मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनाव में जारी किए जाने वाले घोषणापत्र में शामिल करें। साथ ही विभिन्न मंचों और मीडिया के माध्यम से मुद्दों को उठाने की मांग की। ई-मेल के माध्यम से सत्ताधारी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मेल कर पुरानी पेंशन बहाल किये जाने और निजीकरण को रोकने की माँग की।
अटेवा के अध्यक्ष विजय कुमार ‘बन्धु’ ने कहा नयी पेंशन व्यवस्था अत्यंत शोषणकारी है। इस व्यवस्था से उत्तर प्रदेश के 13 लाख सहित देश के 70 लाख शिक्षक, अधिकारी व कर्मचारी प्रभावित हैं। अगर पुरानी पेंशन बहाल होती है तो देश में करोड़ों लोगों तक इसका सीधा असर पड़ेगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि निजीकरण करना देश के सार्वजनिक संपत्तियों को चंद हांथों में देना है। जो देश की जनता के साथ अन्याय है। इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए। क्योंकि निजीकरण निम्न व मध्य वर्ग के खिलाफ अमीरों का षडयंत्र है।
अटेवा के महामंत्री डॉ नीरज पति त्रिपाठी ने कहा पूरे प्रदेश के शिक्षक कर्मचारियों ने अत्यंत उत्साहपूर्वक सभी राजनीतिक दलों को ई-मेल किया और अपने अधिकार की माँग की। अगर सरकार नहीं चेतती है तो बड़े आंदोलन को हम बाध्य होंगे। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि विधानसभा चुनाव निकट है यदि सरकार इस मुद्दे पर कदम नही उठाया तो शिक्षकों कर्मचारियों के आक्रोश झेलने के लिए तैयार रहें।