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बसपा के बाद सपा को भी आई ब्राह्मणों की याद, मऊ में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन

बसपा के बाद सपा को भी आई ब्राह्मणों की याद, मऊ में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन

मऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं, वैसे-वैसे प्रदेश में सियासत नई करवटें लेती दिखाई दे रही हैं। अल्पसंख्यकों की हमदर्द और उन पर प्यार लुटाने वाली पार्टियां अब ब्राह्मणों को साधने में जुगत भिड़ा रही हैं।

2007 की विधानसभा चुनाव में दलित और ब्राह्मणों को साधकर सत्ता की कुर्सी पर पहुंचने वाली बहुजन समाज पार्टी 2022 में भी इतिहास फिर से दोहराना चाहती है। वहीं, इस बीच अब समाजवादी पार्टी का मोह भी ब्राह्मणों के लिए जाग गया है।

दरअसल, शुक्रवार को समाजवादी पार्टी ने मऊ जिले में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान भारी संख्या में सपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हुए। इस सम्मेलन को कई मायने में महत्वपूर्ण दृष्टि से देखा जा रहा है। ये एक तरह से सपा का चुनावी शंखनाद है।

सपा के इस प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की अगुवाई मनोज पांडेय के साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने की। इस सम्मेलन में विधानसभा चुनाव पर चर्चा करने के साथ-साथ आने वाले चुनावों में सरकार बनाने का भी संकल्प लिया गया।

सपा सभी दलों की पार्टी- मनोज

मीडिया से बात करते हुए मनोज पांडेय ने कहा कि सपा का प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन भाजपा सरकार के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। ये कोई नया प्रयोग नहीं है, बल्कि 1997 में भी सपा की ओर से ऐसा सम्मेलन हुआ ता। सपा सिर्फ प्रबुद्ध वर्ग की ही नहीं, बल्कि अगड़े, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक सभी लोगों की पार्टी है।

भाजपा ने खत्म किया परशुराम जयंती अवकाश

उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान में हर जाति, धर्म, वर्ग और संप्रदाय के लोग दुखी हैं। इस वजह से प्रबुद्ध वर्ग की बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि वह इसकी अगुवाई करें और अत्याचारी सरकार को हटाने के लिए शंखनाद करें। उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम के नाम पर 1993 में एसपी सरकार ने ही अवकाश घोषित किया था जिसमें माता प्रसाद पांडेय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसको वर्तमान सरकार ने समाप्त कर दिया।

बसपा पर साधा निशाना

उन्‍होंने दावा किया कि बलिया के मंगल पांडेय जो 1857 के राष्ट्रीय गदर के मुख्य नायक थे उनके प्रतिमा का अनावरण एसपी ने अपने पार्टी फंड से किया था। 22000 संस्कृत अध्यापकों को सीधे रोजी-रोटी देने का काम समाजवादी सरकार ने किया था। बीएसपी पर निशाना साधते हुए मनोज पांडेय ने कहा कि डेढ़ साल से कुंभकरण के नींद में सो रहे एक दल को खुशी दुबे का प्रकरण अब याद आ रहा है। हमारे मुखिया अखिलेश यादव की योजनाओं की दूसरे दल नकल करते हैं।

भाजपा के वोट काटने की कवायद

बता दें कि सूबे के लगभग सभी दल अपने-अपने वोटबैंक मजबूत करने में जुट गए हैं। इस बार चुनाव में कहीं न कहीं ये जरुर देखा जा रहा है कि लोग इतिहास को फिर से दोहराना चाह रहे हैँ। साल 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव, 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने हिंदुत्व और ब्राह्मण के नाम पर ऐतहासिक जीत दर्ज की थी। भाजपा के इसी वोट बैंक में घात लगाने के लिए अब बसपा और सपा प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के जरिए वोटरों को लुभाने के प्रयास में जुट गई हैं।

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