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कोरोना का इलाज करते करते शहीद हुए डाक्टरों के परिवार वालों ने मांगा अपना हक

डाक्टर कोरोना का इलाज करते करते शहीद हुए डाक्टरों के परिवार वालों ने मांगा अपना हक

लखनऊ। कोरोना काल में दूसरों की सेवा में खुद को बलिदान कर दिया, उन्हें शहीद तो कहा जाने लगा,लेकिन उनके परिजनों की हालत को जानने वाल कोई नहीं है। यह हकीकत उन 73 चिकित्सकों की है,जो कोरोना काल में इस दुनिया को छोड़ कर चले गये। जब उनके परिजनों को मदद की दरकार है,लेकिन सुनने वाला कोई नहीं।

पीएमएस ( प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संवर्ग) ने अपने शहीद हो चुके साथियों के परिवारों को उनका हक दिलाने का वीणा उठाया है। इसी के चलते शहीद हुये चिकित्सकों की सूची डीजी हेल्थ को भेज जल्द से जल्द शहीद चिकित्सकों के परिजनों को अनुग्रह राशि, पेंशन लीव एनकैशमेंट जीपीएफ,मृतक आश्रित सेवायोजन आदि लाभ दिलाने की मांग की है।

स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल रही थी शहीद डाक्टरों की लिस्ट

कोरोना काल में जान पर खेल लोगों की जान बचा रहे थे,लेकिन जब अपनी जान गयी,तो विभाग उनकी जानकारी इक्ठ्ठा करने में महीनों का समय लगा रहा है। इसी समस्या को देखते हुये पीएमएस ने खुद ही शहीद डाकटर्स की सूची उपलब्ध कराते हुये,समस्याओं से डीजी हेल्थ को अवगत भी करा दिया।

पीएमएस ने डीजी हेल्थ को लिखे पत्र में कहा है कि बीत वर्ष से प्रारंभ हुई करोना महामारी में  आम जनमानस की सेवा एवं उपचार करते हुए हमारे संवर्ग के बहुत से साथी असमय  ही शहीद हो चुके हैं, उनके सर्वोच्च बलिदान के बाद भी सरकार द्वारा घोषित अनुग्रह राशि तथा तथा शासन स्तर से स्वीकृत होने वाले बहुत सारे लाभ पेंशन, लीव,एनकैशमेंट जीपीएफ,मृतक आश्रित सेवायोजन इत्यादि आज महामारी का प्रकोप प्रारंभ हुए डेढ़ साल बीतने के बाद भी अभी तक अधिकांश शहीद साथियों के  अभाव में जीते हुए  परिवारों को   प्राप्त नहीं हुए हैं ।

पीएमएस की तरफ से कहा गया है कि यह बहुत ही दुःखद एवं शर्मनाक स्थिति है। शहीद साथियों की संख्या बहुत से लोगों के लिए मात्र एक नंबर हो सकता है लेकिन प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के लिए यह स्वयं के परिवार में हुई  दुर्घटना के समान है, जिससे संवर्ग का प्रत्येक चिकित्सक अत्यंत ही दुखी एवं मर्माहत है। पत्र के साथ संलग्न सूची में उल्लिखित नामो को संघ ने अपने प्रयासों से एकत्रित किया है।

संघ ने कहा है कि संबंधित जनपदों से तत्काल इस सूची को सत्यापित कराते हुए एवं अन्य छूटे हुए नामों को सम्मिलित करते हुए इन शहीदों के परिवारों को अविलंब सहायता एवं उनका अधिकार एवं सम्मान दिलाने का प्रयास करें।

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