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फतेहपुर: ललौली गांव की निगरानी समिति फेल, चल रहा लापरवाही का खेल

फतेहपुर: ललौली गांव की निगरानी समिति फेल, चल रहा लापरवाही का खेल

फतेहपुर: जिले में गांवों को संक्रमण से बचाने के लिए निगरानी समितियों का गठन किया गया था, लेकिन ललौली गांव की निगरानी समिति अपने काम में फेल है। तभी तो मुंबई से गांव आने वाले सुफियान जैसे लोग खुलेआम बाजारों में घूम रहे हैं और साथियों के साथ क्रिकेट खेल रहे हैं।

कहीं न कहीं ऐसे लोगों के कारण ललौली गांव में सीओपीडी (सांस लेने में दिक्कत, बुखार और खांसी) की बीमारी होती रही और परिजन घर में मरीजों का इलाज कराते रहे। गांव में मरने वालों की संख्या बढ़ी तो ग्रामीणों ने प्रशासन पर सवाल उठा दिया, जबकि इस बीमारी को लाने का श्रेय ललौली गांव के लोगों को जाता है।

अधिकांश लोग बने लापरवाह  

गौरतलब है कि इस गांव के लगभग 250 से 300 लोग मुंबई में आजीविका के लिए रहते हैं। ऐसे में उनके परिजनों और उनका मुंबई आना-जाना बना रहता है। बीते दिनों काफी लोग मुंबई से ललौली गांव आए, लेकिन इसमें से अधिकांश लोगों ने खुद को क्‍वारंटीन नहीं किया।

वह बाजार जाते रहे और घूमने से लेकर खुलेआम लोगों से मिलते भी रहे। धीरे-धीरे सीओपीडी ने अपना असर दिखाया और लोगों ने बिस्तर पकड़ना शुरू कर दिया। कई लोगों की मौतें हुईं, लेकिन ग्रामीण अभी भी समझने का नाम नहीं ले रहे। सुफियान और उनके जैसे न जाने कितने लोग गांव में घूम रहे होंगे। संभव है कि इसके पहले भी लोगों ने इस गलती को दोहराई हो।

सुफियान ने बोला था झूठ

हालांकि, बाहर से आने वालों के लिए निगरानी समितियां तैनात हैं, लेकिन समितियां कितनी सक्रिय हैं, उसका उदाहरण सुफियान जैसे लोग हैं। घर में चार मौत का दावा करने वाला सुफियान पिछले एक सप्ताह पहले ही मुंबई से आया था। पड़ताल के दौरान पता चला कि उसके घर के सभी सदस्य जीवित हैं और किसी की मौत नहीं हुई। उसने बताया कि, कुछ लोगों के भड़काने पर उसने ऐसा कहा था, जबकि उसके यहां एक भी मौत नहीं हुई थी।

सीओपीडी से मरने वालों की सूची:
  • इस्लाम (51 वर्ष), बीमारी सीओपीडी (खांसी और सांस लेने में दिक्कत)
  • बिस्मिला (65 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • नफीस (53 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • जहूर (90 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • जहीर (70 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • मुजीब (56 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • बुआ (58 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • कल्लू हफीज (43 वर्ष), बीमारी बुखार
  • इम्तियाज (86 वर्ष), बीमारी सांस लेने में दिक्कत
  • पीर अहमद (58 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • फात्मा (41 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • मुसीर (51 वर्ष), बीमारी खांसी-बुखार
  • खालिक (68 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • सफीकुन (65 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • जन्नतुन (76 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • इलियास (58 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • तुफैल खा (61 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • तुफैल (72 वर्ष), बीमारी सीओपीडी
  • कमाजुल (72 वर्ष), बीमारी सीओपीडी।
एमबीबीएस की तैनाती के दिए निर्देश

घटनाक्रम को लेकर रविवार को जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे ने एसपी सतपाल आंतिल, एसडीएम प्रमोद झा, सीओ संजय कुमार शर्मा, नायब तहसीलदार विकास पाण्डेय के साथ ललौली गांव का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने नालों की साफ-सफाई करने के निर्देश दिए। ग्रामीणों ने बताया कि पीएचसी में डॉक्टर नहीं रहते हैं। इसपर डीएम ने एक एमबीबीएस की तैनाती के निर्देश दिए।

साथ ही स्वास्थ्य कैंप में 150 से अधिक लोगों की कोरोना जांच हुई। समाचार लिखे जाने तक एक भी पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया था। इसके साथ ही अधिकारियों के समझाने पर ग्रामीणों ने टीकाकरण कराया। इस तरह यहां पर कोविड टीकाकरण की शुरुआत भी हो गई।

जिले का एकलौता टेलीमेडिसिन केंद्र था ललौली

प्रगति हमेशा आगे को होती है, लेकिन जागरुकता होनी भी बहुत जरूरी है, नहीं तो आगे न बढ़कर पीछे लौटना पड़ता है। कुछ यही हाल ललौली गांव का हुआ। यहां पर अति महत्वाकांक्षी योजना टेलीमेडिसिन शुरू की गई थी। यह योजना जनपद में केवल ललौली को मिली थी, लेकिन यहां के लोग इसका लाभ नहीं ले पाए और अब इसे समाप्त कर नियमित डॉक्टर की व्यवस्था की जाएगी।

लोग निजी अस्पताल तो जाएंगे, लेकिन सरकारी नहीं

जिलाधिकारी ने जब लोगों से बात की तो ग्रामीणों ने बताया कि, जिनके पास पैसा है वह उपचार के लिए निजी अस्पताल चले जाते हैं और जिनके पास नहीं है, वह घर में स्थानीय स्तर से इलाज कराते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर ये लोग सरकारी अस्पताल क्यों नहीं जाना चाहते? जबकि मेडिकल स्टोर से दवाएं लेना हमेशा महंगा और खतरनाक है। इसके बाद भी लोगों को समझ नहीं आता कि उनके लिए बेहतर क्या है?

“ट्रेन से जो भी यात्री आते हैं, उनका रेलवे स्टेशन पर मेडिकल टीम स्क्रीनिंग करती है। फिर उन्हें घर भेजा जाता है। जो लोग किसी अन्य साधनों से आते हैं, उन्हें निगरानी समिति 14 दिन के लिए होम आइसोलेशन में रहने को कहती है। पीएचसी में जांच की व्यवस्था है।”

विकास पाण्डेय, नायब तहसीलदार, सदर फतेहपुर

“ललौली गांव का निरीक्षण किया है। यहां पर अभी तक एक भी कोविड-19 का मामला सामने नहीं आया है। सब कुछ नियंत्रण में है। पीएचसी में टेलीमेडिसिन की व्यवस्था थी। फिलहाल यहां पर नियमित एमबीबीएस डॉक्टर की तैनाती की जा रही है।”

अपूर्वा दुबे, जिलाधिकारी, फतेहपुर

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