लखनऊ। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में बच्चों की फीस जमा करना बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। इसको देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने छात्रों की फीस माफ करने की अपील की है।
लुआक्टा ने इस संबंध में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय से मांग की है कि छात्रों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाए। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडेय और महामंत्री डॉ अंशु केडिया ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दूसरी लहर के प्रकोप से लखनऊ विश्वविद्यालय उससे सह्युक्त महाविद्यालयों के कई शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों और छात्रों का असमय निधन हो गया है। यह बेहद दुखद स्थिति है।
उन्होंने कहा कि लुआक्टा सभी दिवंगत साथियो को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती है। कोरोना का संकट कब समाप्त होगा अभी बता पाना कठिन है। इस बीच विशेषज्ञों द्वारा तीसरी लहर की आशंका जताई गई है, जिसमे बच्चों पर संक्रमण के प्रभाव की संभावना व्यक्त की गई है। ऐसे में आने वाला समय और कठिन होने वाला है।
उन्होंने कहा कि कोरोना की विषम परिस्थितियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्ययनरत छात्रों को बिना परीक्षा कराये प्रोन्नत किये जाने के सम्बंध में तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है, जिसके कुलपति प्रो आलोक कुमार राय सदस्य भी हैं।
उन्होंने कुलपति को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना की विभीषिका के कारण विगत वर्ष 2020 मे बहुत सारे लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा, इस वर्ष पुनः इस आपदा के कारण बहुत सारे लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्रों मे अधिसंख्य छात्र ऐसे परिवारों से सम्बंधित है जो कि आर्थिक रूप से मध्यम एव कमजोर वर्ग से है तथा छोटे शहरों और गांवों से है, उन्हें इस महामारी के कारण विश्वविद्यालय की परीक्षा शुल्क जमा करने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
लुआक्टा के अध्यक्ष और महामंत्री ने कहा कि हम सभी अवगत है कि जहां प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर अभी भी वार्षिक परीक्षाओ का आयोजन किया जा रहा है एवं उनका परीक्षा शुल्क भी लखनऊ विश्वविद्यालय से कम है, वही लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों को सेमेस्टर परीक्षा होने के कारण दो गुना परीक्षा शुल्क जमा करना पड़ रहा है,साथ ही साथ लखनऊ विश्वविद्यालय की परीक्षा फीस प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों से अधिक है।
जबकि विगत वर्ष छात्रों को प्रोन्नत किया गया किंतु उनसे पूरी परीक्षा फीस जमा कराई गई है। परीक्षा परिणाम घोषित करने में अन्य वर्षो की तुलना में खर्च भी कम हुआ है। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा सदैव उच्च आदर्श के मानक स्थापित किये गए हैं, जिसमे लखनऊ विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका में रहा है। कोरोना की इस महामारी मे लखनऊ विश्वविद्यालय को एक आदर्श मानक स्थापित करते छात्रों के परीक्षा शुल्क न लिया जाए।
उन्होंने कहा कि अगर आप यह आदेश जारी करते हैं तो लविवि के हजारों छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। उनके उपर से एक बड़ा दबाव हटेगा। कोरोनाकाल की विषम परिस्थितियों यह निर्णय कई लोगों के लिए राहत भरा होगा।