लखनऊ: मां दुर्गा के पावन पर्व नवरात्र के त्योहार के साथ मंगलवार को हिंदुओं के नव वर्ष का भी आगाज हो गया है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2078, युगाब्द 5123 लगने के साथ हिंदुओं के नए साल की शुरुआत हो गई है।
ये नववर्ष भारतीय नववर्ष भी कहलाता है। इस दिन का इस लिए भी खास महत्व है क्योंकि इसी दिन से भारतीय संस्कृति से जुड़े विभिन्न धर्मों के महान संतों का भी जुड़ाव हैं। आइये आज आपको बताते हैं कि भारतीय नववर्ष का पूरी दुनिया में इतना क्यों महत्व है।
ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना की
सबसे पहले बात करते हैं ब्रह्मा जी के बारे में। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार सृष्टी की रचना तीन शक्तियों ने की हैं। ये शक्ति हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश। इसमें ब्रह्मा जी जहां सृष्टि के रचयिता हैं वहीं विष्णु जी सृष्टी के पालनकर्ता हैं वहीं शिव जी विनाश के देवता हैं। इन तीनों ने मिलकर सृष्टि की रचना की है।
बता दें कि हिंदुओं के नववर्ष का खास महत्व इसलिए हैं क्योंकि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सूर्योदय के समय हमारी इस सृष्टी की रचना की थी। ब्रह्मा जी ने इसी दिन को सृष्टि को बनाने के लिए चुना था।
सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत् की स्थापना की
वहीं इसी दिन को सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रमी संवत् की स्थापना की थी। यानि कि इसी दिन से उन्होंने हिंदुओं के कैलेंडर की रचना की थी। इसी लिए हिंदू लोग विक्रम संवत के हिसाब से चलते हैं। सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर ही विक्रमी संवत का पहला दिन शुरू होता है।
प्रभु श्री राम ने राज्याभिषेक के लिए यही दिन चुना
प्रभु श्री राम की महिमा से कौन परिचित नहीं है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम भारतीय ह्रदय सम्राट हैं वो हिंदुओं के दिल में बसे हैं। उनके आदर्शों पर हर एक भारतीय चलना चाहता है।
प्रभु श्री राम ने अपने राज्याभिषेक के लिए भी नववर्ष के दिन को चुना था।
गुरू अंगददेव जी का आज ही होता है जन्मदिन
इसी के साथ शक्ति और भक्ति को नौ दिन नवरात्र की शुरुआत भी इसी दिन से होती है। इसी के साथ सिख धर्म को मानने वालों के द्वितीय गुरु श्री अंगददेव का जन्मदिन भी भारतीय नववर्ष के दिन ही मनाया जाता है।
स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की
स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना के दिवस के रूप में चुना था। इसी के साथ सिंधी लोगों के लिए पूजनीय और सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक भगवान झूलेलाल का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
वहीं भारतीय नववर्ष के दिन ही विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त करके दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने के लिए इसी दिन को चुना था। इसी के साथ धर्मराज युधिष्ठिर महाराज का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर केशवराम बलिराम हेडगेवार का जन्म दिवस भी इसी दिन मनाया जाता है।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व भी है। दरअसल भारतीय संस्कृति सिद्धांतों पर चलती है। ये वैज्ञानिक है और विज्ञान की हर कसौटी पर खरी उतरती है। हिंदू धर्म या भारतीय नववर्ष जब मनाया जाता है तो प्रकृति भी नववर्ष के उल्लास में डूबी नजर आती है।
ठंड के कारण मुरझाए पेड़ों में नई कोपले फूटने लगती हैं वहीं वसंत ऋतु का आगमन भी भारतीय नववर्ष से होता है। वसंत ऋतु उल्लास और उमंग की ऋतु मानी जाती है। चारों तरफ हरियाली और पुष्पों की सुगंध से वातावरण आनंदमय हो जाता है।
खगोलीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है दिन
इसके अलावा फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है। आर्थिक महत्व का कालखंड भी भारतीय नववर्ष से शुरू होता है। वहीं इसके अतिरिक्त नक्षत्र भी शुभ स्थिति में होते हैं, अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है। खगोलीय दृष्टि से ये दिन अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है।
शुभकामना संदेश
ऐसे में भारत खबर की तरफ से आप सभी को भारतीय नववर्ष और नवरात्र की बहुत बहुत शुभकामनाएं। आइये हम सभी खुश रहे, और दूसरों को भी प्रसन्न रहने का मौका दें। दीन दुखियों की मदद करें और जितना हो सके धरती मां के कल्याण के लिए अपने आपको समर्पित कर दें।
कोरोना काल में जरा सा भी न घबराएं, बस मास्क पहनें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। वहीं जैसे ही कोरोना के टीके का नंबर आए आप वैक्सीन जरूर लगवाएं। आप सभी को एक बार फिर से नवसंवत्सर और नवरात्र की ढेरों शुभकामनाएं। जय माता दी।