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सान्या की मानिए, ज्यादा मत सोचिए, उल्टा मत सोचिए, आसान हो जाएगी जिंदगी

सान्या की मानिए, ज्यादा मत सोचिए, उल्टा मत सोचिए, आसान हो जाएगी जिंदगी

लखनऊ । किसी दार्शनिक ने कहा है- सोचो कि सोचना क्या है। अब आप कहेंगे कि यह भी कोई बात हुई। इंसान जब चाहे, जो चाहे सोच सकता है। मगर, कानपुर की बेटी सान्या विज इस बात से इत्तेफाक नहीं रखतीं।

सान्या कहती हैं- ज्यादा मत सोचिए, उल्टा मत सोचिए और फिर देखिए जिंदगी कैसे आसान होती है। दरअसल आप क्या सोचते हैं, कैसे सोचते हैं, इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है। इसलिए सोचिए कम और कीजिए ज्यादा।

सान्या की मानिए, ज्यादा मत सोचिए, उल्टा मत सोचिए, आसान हो जाएगी जिंदगी

सान्या कानपुर के कारोबारी पंकज चौधरी की बेटी हैं। सान्या की मां कुमुद चौधरी को पेटिंग में खासी दिलचस्पी है। पेटिंग बनाने के साथ-साथ वह उनकी प्रदर्शनी भी लगाती हैं। कुछ नया सोचने और नया गढ़ने के संस्कार सान्या से मां से मिले। मां की पेटिंग्स के जरिए उन्होंने दुनिया और इसके रंगों को भी करीब से जाना समझा।

मैं आज में जीने में भरोसा करती हूं। सुबह से शाम तक एक-एक पल को खुलकर जियो। ज्यादा मत सोचो, उल्टा मत सोचो। बहुत ज्यादा सेविंग के चक्कर में मत रहो। घूमो-फिरो, दुनिया देखो। कुल मिलाकर आज की जिंदगी आज जी लो, कल की कल देखी जाएगी।

बीएड करने के बाद वह लोगों को अंग्रेजी बोलना सिखाने लगीं। गर्मियों की छुट्टियों में समर क्लासेज लगाना भी उनकी आदत में शुमार हो गया। धीरज विज से शादी के बाद सान्या ससुराल आ गईं। परिवार का अपना बिजनेस है। धीरज बिजनेस संभालते हैं, मगर सान्या को कुछ नया करना था। कुछ ऐसा जो जिसके लिए लोग उन्हें जानें।

बच्चों से लगाव के चलते आया पीकबू का आइडिया

सान्या को छोटे बच्चों से खासा लगाव है। ऐसे में उन्होंने बच्चों के लिए स्पेशल गिफ्ट और टॉय शॉप खोलने की सोची और उसे नाम दिया-पीकबू। पीकबू अतरंगी नाम है, जिससे हर बच्चा परिचित है। उन्होंने घर में ही इस बिजनेस की शुरुआत की।

सान्या की मानिए, ज्यादा मत सोचिए, उल्टा मत सोचिए, आसान हो जाएगी जिंदगी

बच्चों को खूब भाया सान्या दीदी का पीकबू

अपने अलग नाम की वजह से पीकबू को ब्रांड बनने में बहुत कम वक्त लगा। सान्या का यह ब्रांड बच्चों को बहुत भा रहा है। सान्या कहती हैं, इस ब्रांड को स्टेबलिश करने के लिए मैंने बहुत मेहनत की। बच्चों को क्या और कैसी चीज अच्छी लगेगी, यह समझना मेरे लिए बेहद जरूरी था। जब मैंने पीकबू सजाया तो वह बच्चों को पसंद आया। यही मेरे लिए सबसे अच्छी बात है।

मैं खाली नहीं बैठ सकती। बोर हो जाती हूं। कुछ न कुछ लगातार करने को चाहिए। मेरी इसी आदत ने मुझे शादी के बाद कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया। मुझे बच्चों से बहुत लगाव है। ऐसे में मैंने अपने ब्रांड का नाम रखा-पीकबू। पीकबू यानी वह खेल जो बचपन में हम खेलते थे- छुपन छुपाई। इसे आप आइस-पाइस भी कह सकते हैं।

अपनी पसंद का काम करेंगे तो आएंगी चुनौतियां

सान्या कहती हैं, जब आप अपनी पसंद का काम करते हैं तो उसमें तमाम चुनौतियां आती हैं। दरअसल आपका आइडिया कितनी सही है और कितना गलत यह उसकी कामयाबी तय करती है। आइडिया से कामयाबी तक के रास्ते में आपको कड़ी मेहनत करनी होती है। यह समझ लीजिए कि मेहनत करने के अलावा आपके पास कोई  और विकल्प ही नहीं होता है।

यंग इंडियंस में सक्रिय  होकर कर रही समाजसेवा

सान्या सीआईसीआई के युवाओं उद्यमियों की टीम यंग इडियंस का हिस्सा है। वह मासूम की को-चेयरनपर्सन भी हैं। समाज के बीच जाकर लोगों की मदद करना उन्हें अच्छा लगता है। सान्या की एक प्यारी सी बेटी कृषा है। डेढ़ साल की कृषा को भी पीकबू बहुत पसंद है।

परिवार जब आपकी ताकत बनता है  तो आपके कुछ भी करना आसान हो जाता है। मेरी सासू मां मुझे रोज इस बात के लिए प्रेरित करती हैं कि मैं कुछ नया करूं। मैंने बीएड किया है। वह अक्सर पूछती थीं कि मैं नौकरी के लिए अप्लाई क्यों नहीं कर रही। पीकबू शुरू करने में भी उन्होंने मेरी पूरी मदद की। वह सास के साथ मेरी सच्ची  दोस्त भी हैं।

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