लखनऊ: प्रदेश में जैसे जैसे कोरोना के मरीजो की संख्या बढ़ रही थी वैसे वैसे शहर में ऑक्सीजन सिलिंडरों की मांग भी बढ़ने लगी थी। इसे स्वास्थ्य विभाग ने आपदा पर अवसर के रूप में लिया और “आत्मनिर्भर” बना। अफसरों का कहना है कि कोरोना काल में हमारी ऑक्सीजन की स्थित सुधरी है, हम कोरोना की दूसरी वेव के लिए भी तैयार है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ देवेंद्र सिंह नेगी ने दी जानकारी
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी ने बताया कि जब कोरोना की शुरुआत हुई तो हमारे पास कुल क्रियाशील 24 एयर सेपरेशन इकाई थीं , 2 लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन निर्माण ईकाई थी और बाकी रिफिलर थीं। फिर जब शॉर्टेज हुई तो हमने इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन वालों को प्रोत्साहित किया कि वो लोग मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई करें।
सरकार की ओर से भी हमें आदेश थे कि अगर कोई इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन कंपनी मेडिकल ऑक्सीजन के क्षेत्र में आना चाह रही है तो उसके पेपर कंपलीट कराकर उन्हें अनुमति दे दी जाए। इसके बाद हमने बहुत मेहनत की तो आज हम 36 यूनिट तक पहुंच गए हैं।
अस्पतालों में हर दिन करीब 35 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमाड
महानिदेशक नेगी बताते हैं, हमारे पास ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। जब कोरोना पीक पर था तो कोविड अस्पतालों में हर दिन करीब 35 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड थी। अभी कोरोना के मरीज कम पहले से कम आ रहे हैं तो रोज 20 मेट्रिक के आस-पास डिमांड है। लेकिन हमें तैयार रहना है कि पता नहीं कब दूसरी वेव आ जाए। ऐसे में हमने पूरी तैयारी कर रखी है।
ऑक्सीजन जनरेटर की ली जा रही मदद
प्रदेश मे पहले लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के 2 ही प्लांट थे, लेकिन जब जरूरत हुई तो विभाग द्वारा गाजियाबाद में तीसरा प्लांट भी शुरू किया। इसकी क्षमता हर दिन 150 मेट्रिक टन है। इसके अलावा हॉस्पिटल भी अपने यहां ऑक्सीजन जनरेटर लगवा रहे हैं। जो हवा से ऑक्सीजन को अलग करके इस्तेमाल करता है और दूसरा क्रायोजेनिक टैंक जो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन से ऑक्सीजन सप्लाई करते हैं।