नई दिल्ली। आज के समय में किसी का ये नहीं पता कि वह अपनी जिंदगी से कब अलविदा कह दें। इसलिए आजकल सभी जीवन बीमा कराते हैं। जिससे मुसीबत के समय उनके परिवार व उन्हें पॉलिसी का फायदा मिल सके। जिसके चलते कभी-कभी ऐसा होता है कि परिवार में चल रही दिक्कत या फिर अन्य कारण से तय समय पर व्यक्ति पॉलिसी का प्रीमियम जमा नहीं कर पाता है। जिसके चलते पॉलिसी लैप्स हो जाती है। इसके साथ ही एक निश्चित समय के अंदर कुछ शर्तों को पूरा करके बंद हुई बीमा पॉलिसी को दोबारा शुरू किया जा सकता है। आज हम आपको बताते हैं कि कैसे लैप्स पॉलिसी को दोबारा शुरू किया जा सकता है।
कब पॉलिसी को लैप्स घोषित किया जाता है-
बता दें कि भारतीय जीवन बीमा निगम में पॉलिसी को कम से कम तीन साल तक चलाना जरूरी होता है। ऐसा होने पर ही इस पर आप रिवाइवल प्रक्रिया प्रभावी हो सकती है। वहीं एक साल से कम समय तक पॉलिसी जमा नहीं करने पर पॉलिसी लैप्स हो जाती है। वहीं यह समय अलग-अलग कंपनियों में अलग-अलग हो सकता है। भारतीय जीवन बीमा निगम में तीन साल तक प्रीमियम जमा नहीं करने पर पॉलिसी को लैप्स घोषित कर दिया जाता है। जिसकी जानकारी पॉलिसी होल्हर को भी दी जाती है। भारतीय जीवन बीमा निगम के अनुसार पांच साल तक पॉलिसी जमा नहीं करने पर इसे पूरी तरह से लैप्स कर दिया जाता है। जिसे बाद में रिवाइव नहीं किया जा सकता है।
रिवाइव करने का तरीका-
अपनी लैप्स पॉलिसी को रिवाइव करने के लिए आपको सबसे पहले अपने बीमा कंपनी के निकटतम ब्रांच में जाकर रिवाइवल कोट लेना पड़ता है। बता दें कि रिवाइवल कोट बची हुई प्रीमियम का कुल जोड़ होता है। ग्राहक को इस रिवाइवल कोट के साथ ही रिवाइवल पेनाल्टी भी भरनी होगी। इसके साथ ही ग्राहक को अपना हेल्थ सर्टिफिकेट भी जमा करना होता है। रिवाइवल के लिए राशि जमा करते समय फॉर्म संख्या 680 को भी भरना जरूरी होता है. ग्राहक को अपने आई डी और एड्रेस प्रूफ की कॉपी भी जमा करना पड़ता है। अगर रिवाइवल राशि 50 हजार से ज्यादा की है, उस स्थिति में ग्राहक को पैनकार्ड की भी एक कॉपी जमा करनी होगी। इसे बीमा कंपनी के निकटतम ब्रांच में जमा करके ग्राहक अपने लैप्स पॉलिसी को दोबारा शुरु कर सकते हैं।