featured देश

मणिपुर सरकार पर मंडराया खतरा तो बागी विधायकों को लाया गया गुवाहाटी

manipur मणिपुर सरकार पर मंडराया खतरा तो बागी विधायकों को लाया गया गुवाहाटी

NPP के विधायकों के कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद मणिपुर सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

कोलकाता: NPP के विधायकों के कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद मणिपुर सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मंगलवार को इन विधायकों को गुवाहाटी लाया गया, विधायकों के साथ इनकी पार्टी प्रमुख भी बीजेपी नेताओं से जरूरी चर्चा करने के लिए पहुंचे। इसी बीच सीबीआई की एक टीम इंफाल पहुंची, जहां उसने कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह से घर पूछताछ की। सिंह ने मणिपुर के राज्यपाल से मुलाकात की थी और बीजेपी के तीन विधायकों सहित नौ विधायकों के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से समर्थन वापस लेने के बाद सरकार पर दावा ठोक दिया था।

बता दें कि इसके बाद से बीरेन सिंह की अगुवाई वाली सरकार पर संकट के बाद मंडरा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि राज्य में एनडीए की सरकार बनाए रखने के लिए बीरेंन सिंह को पद से हटाया भी जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि एनईडीए के संयोजक हेमंत बिस्व सरमा के साथ इससे पहले इम्फाल में वार्ता के नए दौर के बाद, एनपीपी नेता बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार में नेता को बदलने की अपनी मांग पर अड़े रहे।

मंगलवार की शाम गुवाहाटी पहुंचे इन विधायकों के साथ मेघालय में NPP सरकार में मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व शर्मा भी थे। ये दोनों नेता ही नहीं बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी इंफाल के एक होटल में रुके हुए हैं। सरमा ने इंफाल एयरपोर्ट पर पत्रकारों से कहा कि ‘सजग तरीके से काम करेंगे तो हम यह समस्या सुलझा लेंगे।

उनकी (NPP के विधायक) कुछ समस्याएं हैं, जो मैं अपने स्तर पर नहीं सुलझा सकता। मतभेद सामने आते रहते हैं। ऐसे में अगली बैठक दिल्ली में वरिष्ठ सहयोगियों के साथ होगी। सरमा ने सोमवार को मणिपुर के हालात को नियंत्रण में बताया था और कहा था कि बातचीत सकारात्मक माहौल में हो रही है और मामले को दो-तीन दिन में सुलझा लिया जाएगा।

https://www.bharatkhabar.com/for-the-first-time-the-price-of-diesel-is-more-than-petrol/

बता दें कि पिछले हफ्ते एनपीपी के चार मंत्रियों, बीजेपी के तीन बागी विधायकों, तृणमूल कांग्रेस के एक मात्र विधायक और एक निर्दलीय विधायक के इस्तीफा देने के बाद बीरेन सिंह सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ऐसे में यह कांग्रेस के लिए बड़ा मौका हो सकता है. कांग्रेस के पास नई पार्टी सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट का समर्थन है. 60 सीटों वाली विधानसभा में उसके पास 29 सीटें हैं, वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के पास 22

Related posts

फारूक अब्दुल्ला को दिया हंसराज ने जवाब, भारत चाहे तो पीओके पर कर सकता है कब्जा

Breaking News

किसान आंदोलन का विदेशों में भी हो रहा आगाज, पाॅप स्टार रिहाना ने किया ट्वीट

Aman Sharma

ISRO की शाखा पर दर्ज हुआ था करार तोड़ने का मामला, US कोर्ट ने दिए 1.2 अरब डाॅलर जुर्माना भरने के आदेश

Trinath Mishra