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केंद्रीय मंत्रीमंडल ने तीन तलाक पर अध्यादेश पारित किया,दो सत्रों से राज्यसभा में लंबित है बिल

3 talak2 केंद्रीय मंत्रीमंडल ने तीन तलाक पर अध्यादेश पारित किया,दो सत्रों से राज्यसभा में लंबित है बिल

केंद्रीय मंत्रीमंडल ने बुधवार को तीन तलाक से संबंधित अध्यादेश को पारित कर दिया है।आपको बता दें कि तीन तलाक बिल गत दो सत्रों से राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था। मिली जानकारी के अनुसार अब कैबिनेट ने इस पर अध्यादेश पारित किया है। गौरतलब है कि यह अध्यादेश 6 महीने तक ही लागू रहेगा। बाद में सरकार को दोबारा इसे बिल के तौर पर पास करवाने के लिए संसद में पेश करना होगा।

 

केंद्रीय मंत्रीमंडल ने  तीन तलाक पर अध्यादेश  पारित किया,दो सत्रों से राज्यसभा में लंबित है बिल
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने तीन तलाक पर अध्यादेश पारित किया,दो सत्रों से राज्यसभा में लंबित है बिल

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तीन तलाक के मुद्दे पर मोदी सरकार काफी आक्रामक रही है, इसके लिए सरकार की ओर से बिल भी पेश किया गया था। यद्यपि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के विरोध पर इस बिल में संशोधन हुआ था।लेकिन संशोधन के बाद भी ये बिल राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था। गौरतलब है कि लोकसभा में ये बिल पहले ही पास हो चुका है। मालूम हो कि तीन तलाक बिल इससे पहले बजट सत्र और मॉनसून सत्र में पेश किया गया था, लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हुआ था।कांग्रेस इसको  बीजेपी की वोट बैंक की राजनीति बता रही है, तो वहीं बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस मुस्लिम महिलाओं के हक का विरोध कर रही है।

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वहीं बीजेपी की ने लगातार कांग्रेस पर तीन तलाक बिल को पास होने से रोकने का आरोप लगाया है। बिल को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, नरेंद्र मोदी भी कांग्रेस पर हमला बोल चुके हैं।तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है। लेकिन संशोधित बिल में अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा।

पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट ट्रायल से पहले दे सकता है आरोपी को जमानत।

पीड़िता के परिजन और खून के रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच सुलह-समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार है।

एक बार में 3 तलाक की पीड़िता मुआवजे की हकदार होगी।

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट  ने क्या कहा ..?

आपको बता दें कि एक बार में तीन बार-तलाक,तलाक,तलाक बोल कर वैवाहिक संबंध तोड़ने  की 1400 साल पुरानी प्रथा-तलाक ए-बिद्दत को देश की सर्वोच्च अदालत (सुप्रीम कोर्ट )ने अगस्त 2017 में  ऐतिहासिक फौसला सुनाते हुए शून्य,असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया था।
शीर्ष अदालत ने सरकार से छह महीने में  तीन तलाक प्रथा के खिलाफ कानून बनाने का आदेश दिया था।

उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए ही केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 (द मुस्लिम वूमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल) संसद में पेश किया है।और यह बिल संसद में पास भी हो गया लेकिन उच्च सदन राज्यसभा में यह 2 सत्रों से अटका हुआ है।

महेश कुमार यदुवंशी

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