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गंगा दशहराः बिना तिथि और बिना पंचाग के मना दिया गंगा दशहरा

DASHARA गंगा दशहराः बिना तिथि और बिना पंचाग के मना दिया गंगा दशहरा

गंगा दशहरा को लेकर देश में भ्रम की स्थिति है यानि कि सही मुहुर्त को लेकर लोग एक मत नहीं हैं। ऐसे में देश के कई भागों में आज दशहरा मनाया जा रहा है। गौरतलब है कि  इस साल मलमास लगने के वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। आपको बता दें कि शास्त्रों  और पंचांग के अनुसार इस साल गंगा दशहरा 24 मई को था।

 

DASHARA गंगा दशहराः बिना तिथि और बिना पंचाग के मना दिया गंगा दशहरा

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाए जाने का विधान है

आपको बता दें कि  शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाए जाने का विधान है। इसका कारण यह है कि इस तिथि को देवी गंगा धरती पर आयी थी। मालूम हो कि शास्त्र में कहा गया है कि मलमास होने पर भी इस नियम में परिवर्तन नहीं होना चाहिए। शास्त्रों के  अनुसार-

                         “ज्येष्ठे मलमासे सति तत्रैव दशहरा कार्या न तु शुद्धे”। दशहरासु नोत्कर्षः चतुर्ष्वपि युगादिषु’

अर्थ- मलमास होने पर शुद्ध मास में इस दशहरा को मनाने का इंतजार नहीं करना चाहिए। दशहरा का कार्य यानी स्नान, दान, पूजन सभी मलमास के समय ही पूरा कर लेना चाहिए। गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होता है। इन दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है।

गंगा दशहरा: आज ये काम करने से मिलेगी 10 पापों से मुक्ति

प्रख्यात ज्योतिष विद और दिल्ली विश्व विद्यालय के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ राजेश त्रिपाठी ने इस बारें में बात करते हुए भारत खबर को बताया कि बीते माह की 24 मई को मां गंगा के अवतरण को लेकर मनाया जाने वाला पर्व गंगा दशहरा था। हांलाकि कुछ विद्वानों ने उस तिथि को मलमास होने के पहले नहीं माना जो कि नियम विरूद्ध है क्योंकि जब शास्त्र में साफ लिखा है।  “ज्येष्ठे मलमासे सति तत्रैव दशहरा कार्या न तु शुद्धे”। दशहरासु नोत्कर्षः चतुर्ष्वपि युगादिषु’ इसके बाद भी इस तरह जनता को गुमराह करना गलत है। ना ही ज्योतिष से तर्क पूर्ण है ना ही शास्त्र से इसलिए पंचाग में भी कही आज किसी तरह के पर्व का जिक्र नहीं है।

 

 

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